Saturday, 10 October 2015

इक शाम..तुम्हारे साथ हो...!!!

बस यूँ ही....इक शाम..
तुम्हारे साथ हो...
जो ख्यालो में भी ना हो,
ऐसी कोई बात हो...
बस यूँ ही..इक शाम...
तुम्हारे साथ हो...
तुम कहो कुछ...
कुछ कहूँ मैं...
सभी शिकायते मेरी हो,
सभी नादानियाँ मेरी हो...
मैं रूठती रहूँ.....
तुम मुझे मानते रहो..
इक शाम सभी गुस्ताखियाँ,
मेरी माफ़ हो..
बस यूँ ही...इक शाम...
तुम्हारे साथ हो...
तुम्हारे हाथो में...
मेरा हाथ हो,
खामोशियों की हमारे बीच बात हो..
इक शाम मेरी मुस्कराहट..
तुम्हारे हर सवाल का जवाब हो...
बस यूँ ही....इक शाम..
तुम्हारे साथ हो...
इक शाम मेरी धड़कनो की,
तुम्हारी धड़कनो से बात हो...
ना लबों को हो इजाज़त,
कुछ कहने की..
सिर्फ इशारो में...
जाहिर जज्बात हो..
बस यूँ ही....इक शाम..
तुम्हारे साथ हो...!!!

3 comments:

  1. बहुत सुंदर

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, मैं और एयरटेल 4G वाली लड़की - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. ना लबों को हो इजाज़त,
    कुछ कहने की..
    सिर्फ इशारो में...
    जाहिर जज्बात हो..
    बस यूँ ही....इक शाम..
    तुम्हारे साथ हो...

    क्या बात है. सुंदर कविता. ये बातें यूँ ही चलती रहें.

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