Saturday, 26 September 2015

किसी मंदिर सा था...हमारा प्रेम...!!!

किसी मंदिर सा था...
हमारा प्रेम...
अखंड था...
मंदिर में स्थापित...
मूरत सा था..हमारा प्रेम...
धुनों में गूंजता था...
मंदिर में बजती...
घंटियों सा था..हमारा प्रेम...
भावो को वयक्त करता था..
मंदिर में इक सुरों में गाता...
आरती सा था हमारा प्रेम...
पहरों में इन्तजार था..
मंदिर में लम्बी कतार में..
एकटक दर्शन को...
जोहता सा था हमारा प्रेम...
निश्छल निर्दोष था..
मंदिर में खुद को..
समर्पर्ण करता सा था हमारा प्रेम...
शाश्वत जीत सा था..
मंदिर में मांगी...
दुआ सा था हमारा प्रेम...
किसी मंदिर सा था...
हमारा प्रेम...!!!

6 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 28 सितम्बर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  2. वाह क्या बात

    ReplyDelete
  3. waaah .... prem mandir bhi or dua bhi anupam bhav

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर

    ReplyDelete