Sunday, 2 August 2015

सुकून की तलाश थी...!!!

हम दोनों एक साथ थे..
साथ रहते थे,
हर पल इक साथ ही तो थे...
फिर भी ना जाने क्यों..
मुझे सुकून की तलाश थी...
वो सुकून..
जो तुम्हारी आखों में,
देर तक देखने में मिलता था...
वो सुकून...
जो तुम्हारे हाथों को,
थाम कर चलने में था...
वो सुकून...
जो किसी सफ़र पर,
तुम्हारे काँधे पर सर,
रख कर सोने में था...
वो सुकून...
जो अपनी हथेलियों पर,
तुम्हारे चहेरे को रख कर,
सोने में था...
वो सुकून...
जो बेवजह तुम्हारा,
मेरे माथे को चूमने में था...
ना जाने कहाँ खो गया...
वो सुकून....
जो हमारे साथ होने में था...
हर पल हम साथ तो थे..
लम्हों का सुकून नही था...
मैं जीना चाहती हूँ,
वो सुकून....
यूँ ही बेवजह...
किसी सफ़र पर,
चलना चाहती हूँ दूर तक..
मंजिल मुझे मिले ना मिले,
तुम्हारे साथ सफ़र पर हूँ..
ये सुकून तो रहेगा....!!!

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