Saturday 15 October 2016

तुम्ही मेरे सात जन्मों के साथी बनो....!!!

मांग में सिंदूर की लम्बी रेखा,
माथे पर गोल चाँद सी बिंदी,
गले दो धागों का मंगलसूत्र,
हाथो में चूड़ियां खनकती है,
पैरो में पायल,महावर लगी हुई,
उँगलियों में बिछियां सजी हुई...
ये सभी निशानियां है,तुम्हारे होने की..
तुम नही होते हो...
तब भी तुम्हारे होने का एहसास कराती है,
किसी की भी नजर मुझे नही लगती,
जब मांग के सिंदूर पे उसकी नजर जाती है...
बहुत प्यार से खुद को,
आज सजाया है सिर्फ तुम्हारे लिये,
इसलिए नही कि...
मैं कमजोर हूँ,स्त्री हूँ,अबला हूँ,मजबूर हूँ,
बल्कि इसलिए कि...
तुमसे ही मुझे ये सौभाग्य मिला है..
किसी मज़बूरी में नही...
मैंने आज करवाचैथ रखा है,
बल्कि अपनी मर्जी से
अपनी खुशी से,तुम्हारे लिए कुछ करने का मन है...
मुझे पता ये व्रत,
रखने से किसी की उम्र नही बढ़ जाती,
सब जानती हूँ मैं..
पर तुम्हारे प्यार के आगे,
ये तुम्हारा विज्ञान भी मुझे झूठा लगता है...
बस कुछ नही सुनुगी,
चाँद का इंतजार करुँगी,
चाँद के साथ तुम्हे देख कर,
तुम्हारी सलामती की दुआ करुँगी,
तुम्ही मेरे सात जन्मों के साथी बनो,मांग लुंगी...!!!

5 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 17 अक्टूबर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल सोमवार (17-10-2016) के चर्चा मंच "शरद सुंदरी का अभिनन्दन" {चर्चा अंक- 2498} पर भी होगी!
    शरदपूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. चाँद का इंतजार करुँगी,
    चाँद के साथ तुम्हे देख कर,
    तुम्हारी सलामती की दुआ करुँगी,
    तुम्ही मेरे सात जन्मों के साथी बनो,मांग लुंगी...!!!
    Shubhkamnayen ...

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  4. बहुत सुन्दर

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  5. बहुत ही उम्दा ..... बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति .... Thanks for sharing this!! :) :)

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