उस दिन शाम को कॉफ़ी पीते-पीते,
तुम वही घिसा-पीटा डायलॉग बोल कर चले गये,कि हर किसी को नही मिलता यहाँ प्यार जिंदगी में..और कितनी आसानी से कह दिया कि हमे अलग हो जाना चाहिए...पर आज मैंने तुम्हे रोका नही,ना ही मनाने की कोशिश ही की,क्यों की तुम हमारे प्यार के रिश्ते को किस्मत पर छोड़ गये थे,अपनी कमजोरियों को मजबूरियों का नाम देकर तुमने हर रिश्ते से पीछा छुड़ा लिया...मैं सोचती रही ये सब तुम सिर्फ कहते हो,पर कही ना कही तुम भी मुझे नही छोड़ पाओगे,पर मैं गलत थी,तुम्हारे लिये हमारा रिश्ता तो इन चंद लाइनों में ही रहा...सच ही कहा तुमने...हर किसी को नही मिलता यहाँ प्यार जिंदगी में....!!!
Thursday 13 October 2016
नही मिलता यहाँ प्यार जिंदगी में....!!!
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आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शनिवार (15-10-2016) के चर्चा मंच "उम्मीदों का संसार" {चर्चा अंक- 2496} पर भी होगी!
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'