Sunday 3 July 2016

बारिश की बूंदों के साथ....!!!

जाने कितनी बार,
बारिश की इन बूंदों के साथ,
हम-तुम खेले है...
इन बूंदों के लिये ही,
मिले और बिछड़े है...
तुम्हारी जिद इन बूंदों को पकड़ लेने की,
मेरी जिद इन बूंदों में भीग जाने की...
ख्वाइशें फिर चाहे अलग हो,
बारिश की बूंदों के साथ,
खेलने की चाह इक थी....

No comments:

Post a Comment