Friday 15 July 2016

वो बारिश में भीगती मैं, वही बारिश में भीगते तुम थे....

वो बारिश में भीगती मैं,
वही बारिश में भीगते तुम थे....
तेज बारिश की आवाज़ थी,
खामोश से थे हम,
अल्फ़ाज़ हमारे गुम थे....
चमकती बिजिलियाँ,गड़गड़ाते बादल थे,
जोर से धड़कती हमारी धड़कने थी..
हम इक- दूजे में गुम थे....
वो बारिश में भीगती मैं,
वही बारिश में भीगते तुम थे....
बारिश में भीगती,आपस में उलझती थी,
उंगलियां हमारी...
वो झुकती नजरे थी मेरी,
वो मुझे छुती अखियाँ तुम्हारी..
सारा शहर हमे देख रहा था,
हम इक-दूजे की आखों में गुम थे....
वो बारिश में भीगती मैं,
वही बारिश में भीगते तुम थे....

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर

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  2. सुषमा जी,
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    शब्दनगरी
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  3. lovely... romantic
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