Sunday 17 July 2016

इक खूबसूरत शाम...

इक खूबसूरत शाम...
तुम्हारे साथ इक कप कॉफ़ी,
जगजीत जी की वही गजल..."बात निकलेगी तो दूर तलक जायेगी"...कुछ ना कह कर भी इक-दूसरे को देख कर मुस्कराती हमारी आँखे....

इक खूबसूरत शाम...
तुम्हारे साथ इक लॉन्ग ड्राइव..किसी पुरानी फ़िल्म का वो गाना..."लम्बी सी इक गाड़ी में मैं तुमको ले कर जाऊंगा"...गाड़ी के ब्रेक को थामे तुम्हारे हाथ पर अपना हाथ रखना..कुछ इस तरह कि तुम्हे थाम लुंगी हर मोड़ मैं....कुछ ना कह भी इक-दूसरे को देख कर मुस्कराती हमारी आँखे...

इक खूबसूरत सी शाम...
तुमसे अपनी कोई कविता को सुनने की जिद..
मेज पर बिखरी हो,अमृता इमरोज़ की प्यार से महकती किताबे...तुमने उन्ही कविताओं से कुछ पढ़ा था,"और जब तू आ जाती है तो जिंदगी ग़ज़ल हो जाती है"तुम्हारे लब्ज़ों में कही गयी ये शब्द कि जैसे ये सिर्फ मेरे लिये तुमने लिखे हो.. जब इन्हें मैं अपने जहन में दोहराती हूँ तो हर शाम सिंदूरी हो जाती है...

3 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 18 जुलाई 2016 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. प्यार का खूबसूरत अहसास
    ..बहुत सुन्दर

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  3. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण...

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