Monday 18 July 2016

जिंदगी को जी भर कर जीना है....!!!

आज फिर तुम नाराज हो गये,
मेरे बचपने पर,मेरा तुमसे मिलने को कहना,
तुम्हे मेरी फालतू की जिद ही तो लगती है,
और तुम तो हर काम सोच के समझ कर,
सही वक़्त के आने पर करते हो,...,
और यही उम्मीद तुम मुझसे भी रखते हो,
समझदारी की...
कि किसी तरह की कोई जिद न करू,
तुम्हारी तरह हर चीज सोच समझ कर ही करू...
बहुत कोशिश की कि मैं समझदार बन जाऊं,
छोड़ दू ये बचपना ये जिद करना...
पर नही कर पायी..
क्यों कि समझदारी से प्यार नही किया जाता,
मैं नही समझा पायी तुम्हे कि,
ये छोटे-छोटे लम्हे ही है,
जो हमारी जिंदगी में...
जिन्दा होने का एहसास करवाते है...
नही तो सोच-समझ कर तो बस,
जिंदगी गुजारी जाती है....
जिंदगी जी नही जाती...
अब तुम ही बताओ की,
तुम्हे जिंदगी गुजारनी है,
या जिंदगी को जी भर कर जीना है....

2 comments:

  1. बहुत हि बढिया कविता...
    "क्यों कि समझदारी से प्यार नही किया जाता"
    शानदार पंक्ति है

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  2. बहुत खूबसूरत रचना

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