
वो अनछुआ अहसास....
वो अनकहे जज़्बात,
आज फिर बहुत याद आयी,
तुम्हारे साथ गुजरी...
वो अधूरी रात.....!
वही तारो कि बारात,
वही कही दूर बजती...
शहनाइयों कि आवाज़,
आज भी सुन रही हूँ....
वही जोर से धड़कती,
तुम्हारी धड़कनो कि आवाज़.....!!
वही मेरे साथ परछाई,
बनकर चलती चांदनी का साथ.....
वही मुझे तुमसे बांधता विश्वास,
आज भी बेचैन कर देती है
वो अधूरी रात कि तुम्हारी बात.....!!!
आज भी बेचैन कर देती है
ReplyDeleteवो अधूरी रात कि तुम्हारी बात.....!!!
............दिल को छूती पंक्तियाँ बेहतरीन अभिव्यक्ति बहुत बहुत बधाई सुषमा जी..
मदमाती प्यार भरी रचना, आभार।
ReplyDeleteकभी इधर भी पधारें
भावमयी करती रचना...
ReplyDeleteबेहतरीन...
ढ़ेर सारा प्यार समेटे हुए है आपकी रचना, बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर जज़्बात....
ReplyDeleteअनु
भावपूर्ण अभिव्यक्ति
ReplyDeleteनई पोस्ट लोकतंत्र -स्तम्भ
खूबसूरत अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeletehame bhi apne sath le chale apke ehsaas. bahut khoobsurat.
ReplyDeleteप्यार से प्यारी सी रचना
ReplyDeleteBahut pyaree aapkee adhuree rat aur us rat kee ye bat.
ReplyDeleteसुन्दर एहसास.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सुंदर एहसास को वयां करती
ReplyDeleteसुंदर रचना !!
बहुत बढ़िया ..... सुंदर एहसास को वयां करती....
ReplyDeleteसुंदर रचना... !!
bahut khub...great!!!
ReplyDeletethanks
Archana
कविता है या किसी ने गुलाब की पंखुड़ियां बिखेर दी हैं। दूर तक राहें महक उठी हैं।
ReplyDeleteबहुत संदर रचना...बधाई..
ReplyDeleteगहरे एहसास लिए ... प्रेम की अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना |
ReplyDeletesundar aur prabhav shali rachana
ReplyDeleteप्रेम की सूक्ष्म अनुभूति कराती सुकोमल रचना..
ReplyDeleteप्रेम की सूक्ष्म अनुभूति कराती सुकोमल रचना..
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