15.
कितनी ही दूरियाँ क्यों न हो जाए...
हालत कितने ही क्यों न बदल जाए...
कितना वक़्त क्यों न कम पड़ जाए...
पर फिर भी,कुछ है जो.....
हमें एक दुसरे से जोड़े रखता है...!!!
16.
जिन्दगी का तो पता नही.....
पर तुम्हारे बिन जिन्दगी का इक,
लम्हा भी गुजरता नही.......!
17.
हर सांस के साथ तुम्हे महसूस करती हूँ मैं
तुम्हे भूल गयी हूँ ये सच है कि ये
झूठ मैं बार बोलती हूँ.… !!
18.
तुम्हारे साथ बीते पल,
तुम्हारी बातो में गुजरी राते,
सब झूठ ही था तुम्हारे लिए
फिर भी कितनी सच्चाई से,
इस झूठ को जिया है मैंने....!!!
19.
कितने अनकहे अनसुलझे एहसासों के साथ,
तुमसे बंधी रही हूँ मैं.....
साल-दर-साल तुम्हे चाहती रही हूँ मैं.....!!!
20.
इस बदलते वक़्त के साथ....
तुम तो बदलते चले गए.......पर मेरा क्या...????
न मैं बदली.....न ही मेरे लिए वक़्त बदला...........
21.
समझना तो यही है.....वो कितना समझते है.....
पर क्या करे? प्यार तो उनकी नासमझी पर भी आता है......!!!
कितनी ही दूरियाँ क्यों न हो जाए...
हालत कितने ही क्यों न बदल जाए...
कितना वक़्त क्यों न कम पड़ जाए...
पर फिर भी,कुछ है जो.....
हमें एक दुसरे से जोड़े रखता है...!!!
16.
जिन्दगी का तो पता नही.....
पर तुम्हारे बिन जिन्दगी का इक,
लम्हा भी गुजरता नही.......!
17.
हर सांस के साथ तुम्हे महसूस करती हूँ मैं
तुम्हे भूल गयी हूँ ये सच है कि ये
झूठ मैं बार बोलती हूँ.… !!
18.
तुम्हारे साथ बीते पल,
तुम्हारी बातो में गुजरी राते,
सब झूठ ही था तुम्हारे लिए
फिर भी कितनी सच्चाई से,
इस झूठ को जिया है मैंने....!!!
19.
कितने अनकहे अनसुलझे एहसासों के साथ,
तुमसे बंधी रही हूँ मैं.....
साल-दर-साल तुम्हे चाहती रही हूँ मैं.....!!!
20.
इस बदलते वक़्त के साथ....
तुम तो बदलते चले गए.......पर मेरा क्या...????
न मैं बदली.....न ही मेरे लिए वक़्त बदला...........
21.
समझना तो यही है.....वो कितना समझते है.....
पर क्या करे? प्यार तो उनकी नासमझी पर भी आता है......!!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (06-11-2013) मंगल मंगल लाल, लाल हनुमान लंगोटा : चर्चा मंच 1421 में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteप्रेम में पगे लम्हे ... गहरा एहसास लिए हर पल ...
ReplyDeleteसुंदर शब्दो से सजी पंखुड़ियाँ !!
ReplyDeleteयही तो सच्चे प्यार की निशानी है...
ReplyDeleteकल 07/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्तियाँ |
ReplyDeleteनई पोस्ट फूलों की रंगोली
नई पोस्ट आओ हम दीवाली मनाएं!
वाह .... बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeletewell penned.
ReplyDeleteखुबसूरत रचना
ReplyDeleteगहरे अहसास...
ReplyDeleteजो भूला दिया वो प्यार नहीं
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति !
बेहतरीन रचना...
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