Friday 22 November 2013

कुछ बिखरी पंखुड़ियां.....!!! भाग-6

                       41.
हज़ारो बहाने है तुम्हारे पास...               
मुझको भूल जाने के लिये, 
मेरे पास सिर्फ एक वजह है....!
तुम्हे याद करने के लिए..... 
                        42.
मैं नाराज इसलिए नही हूँ....कि 
तुम मेरे साथ नही चल सके,
मैं नाराज इसलिए हूँ कि...
मैं तुम्हारे बिना क्यों नही चल सकी....!
                         43.
मैं एक बार फिर उसी राह,
उसी डगर जा रही हूँ...
तुम मिले थे जहाँ तय करने मैं वही सफ़र जा रही हूँ...
यकीन है कि तुम फिर मेरा हाथ थाम लोगे रोक,
लोगे मुझे यूँ तन्हा ना जाने दोगे......!
                         44.
कभी कभी अपनों की भीड़ भी,
बहुत बेचैन कर देती है....और
किसी बहुत अपने की याद दिल जाती है....!
                         45.
इक सुकून की तलाश में तुम तक पहुची थी,
तुमसे मिलकर और भी बेचैन हो गयी.....!
                          46.
जब कभी अँधेरा घेरता है मुझे..... 
तुम्हारी बाहों के घेरे याद आते है,
जब कभी ख़ामोशी घेरती है मुझे.... 
तुम्हारे सीने पर सर रख कर सुनी थी कभी, 
वो धड़कने सुनायी देती है........
मैं कहाँ अकेली चलती हूँ.....इन राहो पर 
मेरे साथ चलती......तुम्हारी परछाई दिखायी देती है......!
                          47.
सब कुछ पा लिया हमने...अब कोई ख्वाइश ना रही, 
फिर भी खाली ही रहा...
मन का कोना कोई....... 
बहुत लोग आये  भरने वो जगह,
फिर भी.... तुम्हारे जाने के बाद वो जगह खाली ही रही....!
                        48.
बहुत मुश्किल से बांध कर रखा है,
खुद को बिखरने से....
कोशिश तो तुमने भी बहुत  कि थी......!
                        49.
तेज धुप में तुमको जो छाँव दे,
वो आँचल  बन जाउंगी मैं... 
तुम पर जो प्यार बन कर जो बरसे,
वो बादल बन जाउंगी मैं.....
तुम्हारे एहसासो को जो वयक्त करे,
वो शब्द बन जाउंगी मैं.... 
तुम जिसे गुनगुनाओगे.
वो ग़ज़ल बन जाउंगी मैं....!
                     50.
हर बार यूँ ही मुस्करा कर मिली हूँ तुमसे,
डर था कही तुम चेहरे पर...
उदासी ना पढ़ लो...! 

17 comments:

  1. बढ़िया प्रस्तुति-
    आभार आदरणीया-

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  2. मैं नाराज इसलिए हूँ कि...
    मैं तुम्हारे बिना क्यों नही चल सकी.
    .... वाह .... बेहतरीन भाव

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  3. हेर एक के.. बीते पल का एहसास दिलाती
    ये कोमल ,नाज़ुक आपकी बिखरी पंखुड़ियां......
    शुभकामनायें!

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  4. बहुत बढ़िया.....!!!
    प्रेममय भावों की अभिव्यक्ति !!

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  5. उनके देखे से जो आ जाती है मुंह पर रौनक...
    वो समझते हैं बीमार का हाल अच्छा है...

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  6. बहुत खूब..
    सभी लाजवाब...
    और दिल के करीब....
    :-)

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  7. बहुत सुन्दर पंक्तियाँ

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  8. बेहद खूबसूरत ...

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  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार को (24-11-2013) बुझ ना जाए आशाओं की डिभरी ........चर्चामंच के 1440 अंक में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  10. हर लम्हा जैसे जी रहा हो प्रेम में ...
    बहुत उम्दा ...

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  11. बेहद खूबसूरत पंखुड़ियों का गुलदस्ता ..

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  12. पंखुड़ियों का सुन्दर गुलदस्ता ..

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  13. बहुत सुन्दर पंक्तियाँ..

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  14. मैं नाराज इसलिए नही हूँ....कि
    तुम मेरे साथ नही चल सके,
    मैं नाराज इसलिए हूँ कि...
    मैं तुम्हारे बिना क्यों नही चल सकी....!

    वाह बहुत ही सुन्दर |

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  15. बहुत मुश्किल से बांध कर रखा है,
    खुद को बिखरने से....
    कोशिश तो तुमने भी बहुत कि थी......!
    ...वाह !!!

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  16. ह्रदयस्पर्शी.. आभार

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  17. बेहद खूबसूरत पंखुड़ियों का गुलदस्ता ..

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