Friday 29 April 2011

'कवि'

सब जगह से निराश होकर,
 आज तुम्हारे पास आई हूँ...!!
क्यों की मैंने सुना है,
 जब सब सो जाते है,
 तब भी कवि जागता  रहता है....!!
कैसे किसी के होठों पे एक छोटी सी मुस्कान दे, 
कैसे किसी के दर्द को थोडा सा बाँट ले,
कलम हाथ में लेकर ये सोचता रहता है...
खामोश रातो में उसकी अधखुली आखों में,
 जाने किसका सपना जगता रहता है, 
अपने ख्यालो को अपने एहसासों,
 को वो शब्दों  में बंधता  रहता है ....!!!

                    

18 comments:

  1. hiii....Wah kya baat hai...
    Aatma k soundrya ka shabd roop hai kavya...
    manav hona bhagya hai...
    kavi hona soubhagya....JO AAKO MILA HAI.....

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  2. बेहद ख़ूबसूरत और उम्दा

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  3. Bhut khubsurat..
    Neend ek soch me tuti aksar
    kis trah kat-ti hai raate unki..!!!

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  4. कविता मन की गहराइयों से निकलता है और कवि होना भी एक सौभाग्य की बात है..

    मन के भाव को सामने लाना ही कविता बन जाती है...आपने बहुत खूबसूरत ढंग से अपने विचार और भाव व्यक्त किए है..कम शब्द में एक बढ़िया रचना ..बधाई

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  5. Jagrat kavi aur uski kalpna sansar hi jeevan ko rang deti hai...bahut Badhiya Sushma ji..aapki kalam bahut khoob bolti hai...

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  6. खामोश रातो में उसकी अधखुली आखों में
    जाने किसका सपना जगता रहता है

    कवि की कल्पनाओं को
    बहुत सार्थक रूप देते हुए
    अच्छी रचना कही है आपने ...
    बधाई .

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  7. कवि की कल्पनाओं का कहीं अतं नही होता। सार्थक रचना।

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  8. सुना है जब सब सो जाते हैं तो कवि जागता है... बहुत बढिया

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  9. वाह सुषमा जी ,

    एक कवि की मनःस्थिति का बहुत ही भावपूर्ण चित्रण किया है|

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  10. एक कवी की बहुत सुन्दर व्याख्या है ये!

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  11. बेहतरीन अभिव्यक्ति!

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  12. खामोश रातो में उसकी अधखुली आखों में,
    जाने किसका सपना जगता रहता है,
    अपने ख्यालो को अपने एहसासों,
    को वो शब्दों में बंधता रहता है ...

    ......
    sunder likhaa aapne....
    amrit rachta hai apne bhavon ke manthan se kavi....

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  13. कवि का मन ऐसा लगता है हर पल जागता है ... अच्छी प्रस्तुति

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  14. सच में ऐसा ही होता है.

    सादर

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  15. कल 20/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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