सब जगह से निराश होकर,
आज तुम्हारे पास आई हूँ...!!
आज तुम्हारे पास आई हूँ...!!
क्यों की मैंने सुना है,
जब सब सो जाते है,
तब भी कवि जागता रहता है....!!
कैसे किसी के होठों पे एक छोटी सी मुस्कान दे,
कैसे किसी के दर्द को थोडा सा बाँट ले,
कलम हाथ में लेकर ये सोचता रहता है...
खामोश रातो में उसकी अधखुली आखों में,
जाने किसका सपना जगता रहता है,
अपने ख्यालो को अपने एहसासों,
को वो शब्दों में बंधता रहता है ....!!!
hiii....Wah kya baat hai...
ReplyDeleteAatma k soundrya ka shabd roop hai kavya...
manav hona bhagya hai...
kavi hona soubhagya....JO AAKO MILA HAI.....
बेहद ख़ूबसूरत और उम्दा
ReplyDeleteBhut khubsurat..
ReplyDeleteNeend ek soch me tuti aksar
kis trah kat-ti hai raate unki..!!!
कविता मन की गहराइयों से निकलता है और कवि होना भी एक सौभाग्य की बात है..
ReplyDeleteमन के भाव को सामने लाना ही कविता बन जाती है...आपने बहुत खूबसूरत ढंग से अपने विचार और भाव व्यक्त किए है..कम शब्द में एक बढ़िया रचना ..बधाई
Jagrat kavi aur uski kalpna sansar hi jeevan ko rang deti hai...bahut Badhiya Sushma ji..aapki kalam bahut khoob bolti hai...
ReplyDeleteखामोश रातो में उसकी अधखुली आखों में
ReplyDeleteजाने किसका सपना जगता रहता है
कवि की कल्पनाओं को
बहुत सार्थक रूप देते हुए
अच्छी रचना कही है आपने ...
बधाई .
कवि की कल्पनाओं का कहीं अतं नही होता। सार्थक रचना।
ReplyDeleteसुना है जब सब सो जाते हैं तो कवि जागता है... बहुत बढिया
ReplyDeleteवाह सुषमा जी ,
ReplyDeleteएक कवि की मनःस्थिति का बहुत ही भावपूर्ण चित्रण किया है|
एक कवी की बहुत सुन्दर व्याख्या है ये!
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteखामोश रातो में उसकी अधखुली आखों में,
ReplyDeleteजाने किसका सपना जगता रहता है,
अपने ख्यालो को अपने एहसासों,
को वो शब्दों में बंधता रहता है ...
......
sunder likhaa aapne....
amrit rachta hai apne bhavon ke manthan se kavi....
कवि का मन ऐसा लगता है हर पल जागता है ... अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteसच में ऐसा ही होता है.
ReplyDeleteसादर
कल 20/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
Bahut Sundar....
ReplyDeletebahut umda
ReplyDeleteati uttam rachana hai...
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