Friday 8 April 2011

जिँदगी तुझे सब कुछ बताना चाहती हूँ मै.....!!!


जिँदगी तुझे सब कुछ बताना चाहती हूँ मै,
 वो राज जिसका जिक्र सिर्फ मैने अपनी तन्हाई मेँ किया है,
 जिंदगी तुझे उस राज का हमराज बनाना चाहती हूँ मै.!
 वो सपने जो आँखोँ मेँ ही रह गये,
 वो अहसास जो मेरे दिल ने किसी के लिये महसूस किये थे,
 हर वो याद जो आज भी मेरी मुस्कान की वजह बनी हुई है,
 हर वो बात जो अब तक किसी से कही नही,
 जिँदगी तुझे वो सब कुछ बताना चाहती हूँ मै...!!
 अकेले तय किया बहुत लम्बा सफर,
 अब राह मिलती नही,
 आ गयी हूँ उस मोङ पर,
 कि अब जिँदगी तेरा हाथ पकङ कर मँजिल तक जाना चाहती हूँ मै..!!

..

20 comments:

  1. बहुत खूब,आहुति जी.

    ज़िन्दगी सब जानती है,
    वो राज़,जो अब तक छुपाए रखे थे,
    हर बात से वाकिफ है मेरी,
    फिर भी बता देता हूँ,
    दिल का बोझ कुछ हल्का हो,
    ज़िन्दगी तो चलती है मुसलसल
    मेरे साथ साथ
    अब चलूँगा मैं,
    ज़िन्दगी के साथ साथ

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  2. bahut bahut sundar....
    zindgi tera hath pakad kr manzil tak jana chahti hun.....

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  3. manjil tak pahunchati hui abhivyakti..khubsurat

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  4. बहुत पसंद आई आपकी यह कविता.

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  5. bhut bhut khubsurat..
    zindgi se koi raz kya chupayenge hum
    zindgi ne to kai raaj humse chupa rakhe hai..!!!

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  6. बहुत सुन्दर लिखा है --लगता है मेरे दिल की बात आपने चुरा ली --धन्यवाद !इतना ही सुंदर लिखती रहे --

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  7. बहुत अच्छी रचना है.

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  8. chaliye aapko jindgi ne rah to dikha di yahan to chourahe par khade hai , sundar rachna , badhai

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  9. कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।

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  10. जिंदगी से बातें करती हुई
    जिंदगी की कविता .... !!

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  11. जीवन -दर्शन की बेहतर ढंग से काव्य में प्रस्तुति !

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  12. panktiya man ko chhu gai....bahut sundar..

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  13. जिंदगी से बतियाने की ये अदा अच्छी है.

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  14. वो अहसास जो मेरे दिल ने किसी के लिये महसूस किये थे,
    हर वो याद जो आज भी मेरी मुस्कान की वजह बनी हुई है,
    हर वो बात जो अब तक किसी से कही नही,
    जिँदगी तुझे वो सब कुछ बताना चाहती हूँ मै...!!

    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ आत्मीयता के अहसास से भरपूर ! बाहर मन भाई आपकी यह रचना ! शुभकामनायें !

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  15. बहुत प्याती रचना बधाई |
    आशा

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