तन्हा सागर के किनारे मैं बैठी थी,
लहरों को अपनी तरफ आते देख रही थी...!
एक पल दिल ने कहा की काश!
ये लहरें हमें भी अपने साथ ले जाये,
पर हमें यहाँ अकेले ना छोड़े अपने साथ ले जाये ...
पर ये क्या?
पलक झपकते ही मैं लहरों को वापस जाते देख रही थी,
वो फिर आएगी मुझको लेने इस उम्मीद में,
मैं लहरों को आते-जाते देख रही थी...!
एक हलचल सी थी दिल में मेरे,
कुछ कहना था उन लहरों से ,
वो मेरे पास आती थी,
मैं खुद पे उनको मुस्कराते देख रही थी..
कभी तो सुनेगी वो मेरी बाते ..
इस उम्मीद में,
मैं तन्हा बैठी लहरों को आते-जाते देख रही थी..... !!
सागर की लेहेरों से जुड़ते मन के भाव ......
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति.
lahron jaise uchhrinkal rachna..:) aur utna hi pyara sa photo selection..:)
ReplyDeleteकविता और कविता के भाव दिल को छू लेते हैं.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत ...लहरों का आना जाना भी कितना सुकून देता है
ReplyDeletevery nice...
ReplyDeleteकभी तो सुनेगी वो मेरी बाते ..
इस उम्मीद में,
मैं तन्हा बैठी लहरों को आते-जाते देख रही थी..... !!
वो मेरे पास आती थी,
ReplyDeleteमैं खुद पे उनको मुस्कराते देख रही थी..
हम भी लहरों की तरह प्रगति करते रहें और सकूँ का कारण बन सकें ..जीवन इसी का नाम है बहुत सार्थक है आपकी रचना ...आपका आभार
bhut khubsurat....
ReplyDeleteek pal dil ne kha kash
ye lahre hme apne sath le jaye..!!!
सुन्दर भाव है आपकी कविता के। धन्यवाद।
ReplyDeleteKaashk lehro..hawa aur saahil ko baandh sakte... magar nahi kuchh bhi to sashwat nahi h... sundar kavita h..liked ur blog :)
ReplyDeleteएक हलचल सी थी दिल में मेरे,
ReplyDeleteकुछ कहना था उन लहरों से ,
वो मेरे पास आती थी,
मैं खुद पे उनको मुस्कराते देख रही थी..
कभी तो सुनेगी वो मेरी बाते ..
bahut khoobsoorat...dil ki tamanna ubhar aayee...
लहरें जो आती हैं वे अनकही चाहतों को सुन कर जाती हैं,
ReplyDeleteफिर लौटती हैं - कहीं कुछ अनसुना तो नहीं रह गया ...
"बेठे है नदी किनारे कभी तो लहर आएगी "
ReplyDeleteभ्रम ही सही पर आशा तो है ?
Pukar khubsurat hai...badhai
ReplyDeleteham prakriti batate rahti hai ki chalna h zindagi hai ...lehar bhi apna daayitttv nibha rrahe hain anvarat ...hame chalna chhahiye apne path par bhi usi ke bhaati.....manzil mil jaayegi
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