Monday 18 April 2011

मेरी जिन्दगी.....!!!

जब भी जिन्दगी में लगा की सब 
कुछ खत्म हो गया, 
तभी एक उम्मीद सी दिल में जगती है 
की शायद यही शुरुआत  है...! 
जब भी बिना आह के  दिल टूट कर बिखर गया,
मैं मुस्कराती रही....!! 
मेरी मुस्कराहट के पीछे धीरे-धीरे से,
एक दर्द का तूफान गुजर गया..!!! 
पता नही मैंने जिन्दगी को बदल दिया 
या जिंदगी ने मुझे बदल दिया, 
पर जिन्दगी की राहे जब भी खत्म हुई 
मैंने रास्ता बदल दिया...!!! 
एक उलझन ही रही मेरी जिंदगी, 
मैं जिन्दगी के हर मोड़ पर जीने के बहाने ढूँढती रही,
पर जिन्दगी को हर बार मुझे हराने के बहाने मिलते रहे... 
कुछ कमी थी शायद मेरी कोशिशो में 
की जिन्दगी हर बार  जीत गयी अपनी साजिशो में .....!!!
                                                  

30 comments:

  1. Haar tab hogi jab aap haar maan lengi... koshish karte rahiye... jindagi ko harane k lie nahi, apni jeet k lie.. sundar kavita :)

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  2. पता नही मैंने जिन्दगी को बदल दिया
    या जिंदगी ने मुझे बदल दिया,
    पर जिन्दगी की राहे जब भी खत्म हुई
    मैंने रास्ता बदल दिया...!!

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  3. मैं जिन्दगी के हर मोड़ पर जीने के बहाने ढूँढती रही,
    पर जिन्दगी को हर बार मुझे हराने के बहाने मिलते रहे...
    कुछ कमी थी शायद मेरी कोशिशो में
    की जिन्दगी हर बार जीत गयी अपनी साजिशो में
    dil ko chhoo lene vali panktiyan .bahut khoob

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  4. yahi to jijivisha hai, aagat ka sundar parivartan hai

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  5. बहुत ही खूबसूरत रचना....सुंदर भावों के साथ सुंदर शब्द

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  6. jindgi jinda dili ka nam hai aap kikavita nirasha se bhari huyee hai ese sthayee na banaye.rachna me bhav hai bdhayee

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  7. मेरी मुस्कराहट के पीछे धीरे-धीरे से,
    एक दर्द का तूफान गुजर गया..!!!
    ....इन पंक्तियों को पढ़कर अपना एक शेर याद आ गया. कुछ मिलते जुलते भाव हैं-

    'गौर से देखा तो आंखें बंद कर लेनी पड़ीं
    ग़म का एक सैलाब सा हंसते हुए चेहरे में था. '

    बहुत अच्छी कवितायें लिख रही हैं आप. स्पीड भी अच्छा है. समृद्ध रचनाओं की उम्मीद बंध रही है. बधाई!....शुभ कामनाएं!

    -------देवेंद्र गौतम

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  8. HAI AJAB MASh-ALA ZINDGI KA YANHA
    HUM SMETA KIYE VO BIKHRTI GYI...
    bhut bhut khubsurat....

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  9. एक उलझन ही रही मेरी जिंदगी,
    मैं जिन्दगी के हर मोड़ पर जीने के बहाने ढूँढती रही,
    पर जिन्दगी को हर बार मुझे हराने के बहाने मिलते रहे...
    कुछ कमी थी शायद मेरी कोशिशो में
    की जिन्दगी हर बार जीत गयी अपनी साजिशो में .....!!!
    ..
    क्या खूब लिखा है आपने..अच्छा लगा यहाँ आकर जिसका श्रेय भी आपको ही जाता है !

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  10. जीवन की कशमकश को भावपूर्ण अभिव्यक्ति देती है.... आपकी सुन्दर रचना

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  11. पर जिन्दगी की राहे जब भी खत्म हुई
    मैंने रास्ता बदल दिया...!!!
    bahut achchi rachna ..

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  12. जिन्दगी की साजिश भी बहुत अजीब होती है | कब किस मुकाम पर ले आये कहना मुश्किल, सारगर्भित पोस्ट , आभार ..

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  13. नहीं जीत सकती जिन्दगी अपनी साजिशों में..
    ये जीवन हमारी अंतरात्मा का दास है..हम अपनी आत्मा की आंतरिक शक्ति पर अगर केन्द्रित करे तो ये जीवन की सभी कठिनाइयाँ एक बुलबुले स्वरुप प्रतीत होंगी जो स्वयं आप के अन्दर की शक्ति के सामने कही नहीं ठहरती ..
    सुन्दर काव्य लेखन के लिए बधाइयाँ..

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  14. आस और निरास के बीच की आंखमिचौली लगती है जिन्दगी.

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  15. पता नही मैंने जिन्दगी को बदल दिया
    या जिंदगी ने मुझे बदल दिया,
    पर जिन्दगी की राहे जब भी खत्म हुई
    मैंने रास्ता बदल दिया..

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  16. मैं जिन्दगी के हर मोड़ पर जीने के बहाने ढूँढती रही,
    पर जिन्दगी को हर बार मुझे हराने के बहाने मिलते रहे...

    Bahut badhiya Sushma ji...jeene ke bahane hardam dhhondhne chahiye...roshni ka katra kahin na kahin dikhega zarur...

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  17. चित्ताकर्षक लगी ..बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

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  18. जीवन की कशमकश को भावपूर्ण अभिव्यक्ति,बहुत सुन्दर.

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  19. कुछ कमी थी शायद मेरी कोशिशो में
    की जिन्दगी हर बार जीत गयी अपनी साजिशो में .....!!!fir se koshish karne ka ek achchha karan....bahut sunder shabd rachana..

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  20. पता नही मैंने जिन्दगी को बदल दिया
    या जिंदगी ने मुझे बदल दिया, ...

    Jeevan ke utaar chadaav ko sahaj hi likh diya hai aapne ...

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  21. बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति|

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  22. जी बहुत सुंदर। एक शेर याद आ रहा है।
    लगी आग दिल में किसी के, जलना हमें पड़ा।
    ठोकर लगी किसी को, संभलना हमें पड़ा।।

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  23. पता नही मैंने जिन्दगी को बदल दिया
    या जिंदगी ने मुझे बदल दिया...

    जिंदगी की कशमकश के अनेकों पहलुओं से
    रु ब रु करवाती हुई
    और अनेकों सवालों के जवाब ढूँढती हुई
    अच्छी रचना .

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  24. uttam rachna hai jiska uttar milna is zindagi me ek kathin prassan hai...par chalte jaana aur har mod par ek sajag nirnay lena hi jeevan jeene ki kala hai......

    keep going

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