तुम्हारे साथ कॉफी पीना,
सिर्फ कॉफ़ी पीना नही होता था....
उस कॉफी के साथ,
तुम्हारे साथ गुजरी जिंदगी की,
कई सारी यादो को दोहराना होता था.....
कॉफी के बहाने ही सही....
तुम्हारा आना.....और उस इक पल ही सही...
मेरा तुम्हे पाना होता था.....
कॉफी के साथ...
तुमसे पूछना कि कैसा चल रहा है सब,
तुम्हारा बेपरवाही से कहना...सब ठीक है....
बस इतना सा ही तो था....
तुम्हारा मेरे साथ कॉफी पीना.....
और मेरा कॉफ़ी पीने के साथ,
तुम्हारी आखों में...
कुछ छिपा हुआ पढ़ना होता था.....!!!
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (09-03-2016) को "आठ मार्च-महिला दिवस" (चर्चा अंक-2276) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
खुबसूरत भाव :) jsk
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