Sunday, 6 March 2016

जिंदगी के सफ़र पर....

कभी जब तुम यूँ ही...
अचानक सरे-आम....
मेरा हाथ थाम कर,
चलने लगते हो,
तो शायद तुम भूल जाते हो,
कि मेरा इस तरह तुम्हारा हाथ थामना,
तुम्हे पसंद नही है...
तब मुझे महसूस होता है...
कि तुम मेरी फ़िक्र में,
कही मैं खो ना जाऊं,
तुम मुझे साथ रखना चाहते हो...
और मैं भी इससे अन्जान होकर कि....
तुमने मेरा हाथ कुछ दूर के लिये थामा है,
फिर भी....
मैं तुम्हारा थाम कर चल पड़ती हूँ..
जिंदगी के सफ़र पर...,!!!

2 comments:

  1. बेहतरीन प्रस्तुति, महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें।

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