कभी कोई बात जो मैंने कही नही,
तुमने सुन लिया होता....
कभी जो मैं खामोश हुई,
तो तुमने कह दिया होता....
बेशक मैंने तुम्हे रोका नही,
फिर भी मैं वही खड़ी थी,
तुम्हारे जाने तक...
तुमने मुड़ कर देखा तो होता...
कुछ एहसास अब भी है हमारे दरमियाँ....
तुमने जो इक बार मेरे ख़्यालो को,
छु कर देखा होता...
बेशक मैंने तुमसे कभी कहा नही,
फिर भी मैं आज भी तुम्हे लिखती रही,
तुमने जो कुछ पल ठहर कर,
इक बार जो मेरी आँखो को,
पढ़ा तो होता....!!!
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17 - 03 - 2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2284 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
बेहतरीन लिखा
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