कभी-कभी कुछ कविताये,
कुछ नही कहती है...
ख़ामोश चुप सी बेतरतीब,
बिखरी सी रहती है...
कुछ कविताये कभी,
कुछ नही कहती है..
कभी-कभी कुछ कविताये,
जिन्दगी की किताब सी होती है...
पढ़ते तो सभी है,..
सभी के समझ के परे होती है...
ख़ामोश चुप सी बेतरतीब,
बिखरी सी रहती है...
कुछ कविताये कभी,
कुछ नही कहती है....!!!
कुछ नही कहती है...
ख़ामोश चुप सी बेतरतीब,
बिखरी सी रहती है...
कुछ कविताये कभी,
कुछ नही कहती है..
कभी-कभी कुछ कविताये,
जिन्दगी की किताब सी होती है...
पढ़ते तो सभी है,..
सभी के समझ के परे होती है...
ख़ामोश चुप सी बेतरतीब,
बिखरी सी रहती है...
कुछ कविताये कभी,
कुछ नही कहती है....!!!
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