वो तुम्हारा इन्तजार करना.....
सब कुछ छोड़ कर....तुम्हे याद करना....
खुद पर हँसती हूँ,
जब याद आता है......वो बचपना मेरा....
मेरा पागलपन सा लगता है.....
वो बचपना मेरा.......!
वो तुम्हारे इक कॉल का इन्तजार करना...
कही चूक ना जाऊ....तुमसे बात करने में,
वो हर वक़्त फ़ोन को......
अपने पास रखना मेरा........
जाने कितनी बार.....
तुम्हारा नंबर को फ़ोन पर देखा ....
और डायल भी किया....
पर तुम तक खबर पहुँचती.....
इससे पहले ही न जाने किस डर से,
वो कॉल को काट देना मेरा.......
मेरा पागलपन सा लगता है......
वो बचपना मेरा......................!!
वो हर वक़्त,हर पल,हर बात में,
तुम्हारा ही ख्याल आना.......
अकेले ही यूँ ही बैठे-बैठे,
तुमको याद करके......वो मेरा मुस्करा देना......
वो मेरा सजना सँवरना,
यूँ ही आईने में खुद को...
देख कर नजरे झुका लेना......
मेरा पागलपन सा लगता है.......
वो बचपना मेरा.....................!!!
वो तुमको देख कर भी......अनजान बनना,
वो तुमसे ही नजरे चुरा कर,
तुमको ही देखना मेरा......
वो तुम्हारी बाते न करके भी,
हर बात में तुम्हारा ही जिक्र लाना मेरा.......
वो बेफिक्र तुम्हारे ख्यालो में,
खोये रहना मेरा.......
मेरा पागलपन सा लगता है.........
वो बचपना मेरा.....................!!!!
सब कुछ छोड़ कर....तुम्हे याद करना....
खुद पर हँसती हूँ,
जब याद आता है......वो बचपना मेरा....
मेरा पागलपन सा लगता है.....
वो बचपना मेरा.......!
वो तुम्हारे इक कॉल का इन्तजार करना...
कही चूक ना जाऊ....तुमसे बात करने में,
वो हर वक़्त फ़ोन को......
अपने पास रखना मेरा........
जाने कितनी बार.....
तुम्हारा नंबर को फ़ोन पर देखा ....
और डायल भी किया....
पर तुम तक खबर पहुँचती.....
इससे पहले ही न जाने किस डर से,
वो कॉल को काट देना मेरा.......
मेरा पागलपन सा लगता है......
वो बचपना मेरा......................!!
वो हर वक़्त,हर पल,हर बात में,
तुम्हारा ही ख्याल आना.......
अकेले ही यूँ ही बैठे-बैठे,
तुमको याद करके......वो मेरा मुस्करा देना......
वो मेरा सजना सँवरना,
यूँ ही आईने में खुद को...
देख कर नजरे झुका लेना......
मेरा पागलपन सा लगता है.......
वो बचपना मेरा.....................!!!
वो तुमको देख कर भी......अनजान बनना,
वो तुमसे ही नजरे चुरा कर,
तुमको ही देखना मेरा......
वो तुम्हारी बाते न करके भी,
हर बात में तुम्हारा ही जिक्र लाना मेरा.......
वो बेफिक्र तुम्हारे ख्यालो में,
खोये रहना मेरा.......
मेरा पागलपन सा लगता है.........
वो बचपना मेरा.....................!!!!
प्यार में ये पागलपन ..बेहद प्यारा लगता है
ReplyDeleteकोमल अहसासों की बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत सुन्दर
ReplyDeleteExcellent Once Again..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति!
ReplyDeletelatest postअनुभूति : वर्षा ऋतु
latest दिल के टुकड़े
बहुत बढ़िया ....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज शनिवार (27-07-2013) को एकालाप.........क़दमों के निशाँ........कलयुगी सत्कार पर "मयंक का कोना" में भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ये पागलपन ही है :-))
ReplyDeleteसुंदर भाव...
ReplyDeleteआभार आदरेया-
ReplyDeleteपागलपन सचमुच सही, रही सही उम्मीद |
इसी बहाने बीतती, खुद की होली ईद ||
शानदार प्रस्तुति......
ReplyDeleteye pagalpan bahut hi pyara hota hai..........
ReplyDeleteहर बात में तुम्हारा ही जिक्र लाना मेरा.......
ReplyDeleteवो बेफिक्र तुम्हारे ख्यालो में,
खोये रहना मेरा.......
मेरा पागलपन सा लगता है.........
bahut masum bhavon se saji kavita
rachana
it happens Sushma ji...it is called love..
ReplyDeleteबहुत प्यारा है ये पागलपन... बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबचपन का ये भोलापन ये पागलपन हमेशा ही रहे तो जीवन भी सार्थक है ...
ReplyDeleteप्रेम की अनुभूति जगाता ...
बहुत सुन्दर सुषमा जी,
ReplyDeleteये बचपना सलामत रहे,ये मुहब्बत यूँ ही परवान चढ़े,
बेक़रार आप हो जितने किसी की खातिर,उतनी शिद्दत से ही वो आपको भी प्यार करे........
awesome creation.
ReplyDeleteबेहद प्रभावशाली रचना
ReplyDeleteप्यार में मन पागल ही होता है
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर, भावपूर्ण
शायद हर प्रेम की यही दास्ताँ होगी...
ReplyDeleteBahot hi pyari rachana Dhanyawad from Harry
ReplyDeleteBehad hi shandar rachana Dhanyawad from Harry
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत भावप्रधान रचना
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 30 जून 2016 को में शामिल किया गया है।
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !
गरिमापूर्ण प्रस्तुति ... अति सुन्दर
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