
वो ख्वाबो वाला प्यार.....
जिसमे जुबा कुछ नही कहती,
आखों में सारी बाते होती है.....
मुझे भी कभी मिल जायेगा
वो आखों ही आखों वाला प्यार.....
जिसमे हर आहट पर धडकने धडकती है,
किसी का नाम लेकर साँसे चलती है,
रात भर जागती आखों वाला प्यार.....
मुझे भी कभी मिल जायेगा.....
वो ख्वाबो वाला प्यार.....
जिसमे ढलती शामो के साथ,
किसी के होने का एहसास होता है....
कोई दूर हो कितना पर,
दिल के पास होता है.....
सामने होकर भी इशारों में,
होती बातो वाला प्यार......
मुझे भी मिल जायेगा,
कभी वो इशारो वाला प्यार.......
मुझे भी कभी मिल जायेगा.....
वो ख्वाबो वाला प्यार.....
जिसमे इतिहास के किस्से....और,
परियों की कहानिया होती है....
हर पल प्यार की निशानियाँ होती है
हो जाए मुझे भी वो किताबो वाला प्यार.....
मुझे भी कभी मिल जायेगा.....
वो ख्वाबो वाला प्यार.....!!
किताबो वाला प्यार.....
ReplyDeleteBeautiful!
यकीनन....यह खूबसूरत इल्तिजा ज़रूर क़ुबूल होगी
ReplyDeleteआमीन! ऐसा ही हो !!
ReplyDeletelatest post क्या अर्पण करूँ !
latest post सुख -दुःख
बहुत अच्छी रचना, बहुत सुंदर
ReplyDeleteमेरी कोशिश होती है कि टीवी की दुनिया की असल तस्वीर आपके सामने रहे। मेरे ब्लाग TV स्टेशन पर जरूर पढिए।
MEDIA : अब तो हद हो गई !
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/07/media.html#comment-form
वाह बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteमेरी शुभकामनायें हैं आपको .....!
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन,,,वाह !!!
ReplyDeleteRECENT POST : अभी भी आशा है,
सुन्दर भावाभ्यक्ति आदरेया!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना वाह ,
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना .
ReplyDeleteवाह...
ReplyDeleteवो ख़्वाबों वाला प्यार.....
बहुत सुन्दर.
अनु
प्रेम के महीन अहसास की सुखद और
ReplyDeleteबहुत सुंदर अनुभूति
उत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
केक्ट्स में तभी तो खिलेंगे--------
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज शनिवार (20-07-2013) को विचलित व्यथित मन से कैसे खोलूँ द्वार पर "मयंक का कोना" में भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर.
ReplyDelete.....मिल ही तो गया है वह कविताओं वाला प्यार..
ReplyDeleteसुन्दर ,प्यारी रचना....
ReplyDelete:-)
ख्वाब तो ख्वाब है उनका ऐतबार न कीजे ।
ReplyDeleteकिताबों वाला प्यार...क्या बात है....ये किताबें ही हैं जो प्यार के रंग दिखाती हैं...मुश्किल ये है कि किताबों वाला प्यार दर्द भी बहुत देता है...पूरी कहानी और किताबों वाला प्यार ...सोचते ह अहसास फिर से जिंदा हो जाता है...जख्मों के बाद भी...लबों पर मुस्कुराहट आ ही जाती है..सच है यही तो प्यार की ताकत है
ReplyDeleteवाहः बहुत सुंदर अनुभूति...
ReplyDeleteजिसमे ढलती शामो के साथ,
ReplyDeleteकिसी के होने का एहसास होता है....
कितनी सादगी ... कितना साफ़ सुथरा एहसास ... वाह !!!
बहुत कोमल रचना
ReplyDeleteबहुत खुबसुरत अभिव्यक्ति,आपको मेरी हार्दिक शुभ कामनायें.
ReplyDeleteबहुत अच्छी मर्म को छू जानेवाली रचना । बधाई । सस्नेह
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना, बहुत सुंदर
ReplyDeleteदुआ है जल्द मिल जाये .....:))
ReplyDeleteवाह ... लेखन का यह बेहतरीन अंदाज ... उत्कृष्ट अभिव्यक्ति की रचना करना
ReplyDeleteवो सब कुछ तो कलम और कागज से ही मिलता है जो आपको मिल ही रहा है...यथार्थ तो कुछ अलग ही होता है, बस नून तेल लकड़ी में जीवन निकल जाता है...
ReplyDeleteआपकी इस अच्छी रचना के लिए आपको बधाई!!
सादर/सप्रेम,
सारिका मुकेश
अति सुंदर कोमल भाव.......
ReplyDeleteअति सुंदर कोमल भाव.......
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार २६ मई 2016 को में शामिल किया गया है।
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !