वही सावन के झूले है....
वही बरसता पानी है....
वही भिगोती बुँदे है...
बस तुम नही हो.....!!
वही बरसता पानी है....
वही भिगोती बुँदे है...
बस तुम नही हो.....!!
वही टेढ़ी मेढ़ी राहे है....
वही ठंड से कांपती हवाये है.....
वही तुम्हारे इन्तजार में थमी निगाहें है.....
वही बैचैन करती आहे है.....
बस तुम नही हो....!!
वही बिखरते हुए सपने है....
वही टूटी हुई कसमे है....
वही लोगो की बाते है...
वही दुनिया की रश्मे है...
बस तुम नही हो....!!
वही दूर तक फैला समंदर है....
वही आती हुई लहेरे है....
वही कभी न खत्म होती राहे है....
वही ठहरी हुई मंजिले है...
बस तुम नही हो....!!
वही आधी-अधूरी बाते है....
वही नींदों से कोसो दूर उदास आखें है...
वही तुम्हारा नाम लेती मेरी साँसे है....
बस तुम नही हो....!!
वही तुममे ही डूबी मेरी भावनाये है.....
वही तुम्हारे लिए ही रची मेरी रचनाये है....
बस तुम नही हो....!!
बस तुम नही हो....!!
वही बिखरते हुए सपने है....
वही टूटी हुई कसमे है....
वही लोगो की बाते है...
वही दुनिया की रश्मे है...
बस तुम नही हो....!!
वही दूर तक फैला समंदर है....
वही आती हुई लहेरे है....
वही कभी न खत्म होती राहे है....
वही ठहरी हुई मंजिले है...
बस तुम नही हो....!!
वही आधी-अधूरी बाते है....
वही नींदों से कोसो दूर उदास आखें है...
वही तुम्हारा नाम लेती मेरी साँसे है....
बस तुम नही हो....!!
वही तुममे ही डूबी मेरी भावनाये है.....
वही तुम्हारे लिए ही रची मेरी रचनाये है....
बस तुम नही हो....!!
I am speechless Sushma ji. Brilliant piece of writing.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना, आपकी अभिव्यक्ति दिल को छू गयी....
ReplyDeleteसावन की मन भावन रचना...
ReplyDeletebehatareen
ReplyDeleteवही आधी-अधूरी बाते है....
ReplyDeleteवही नींदों से कोसो दूर उदास आखें है...
bahut bahut khoob... suprb
भीगा भीगा सा सावन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post केदारनाथ में प्रलय (२)
कौन कहता है वो नहीं है...है तो हर जगह...तुम में भी....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
अनु
वही आधी-अधूरी बाते है....
ReplyDeleteवही नींदों से कोसो दूर उदास आखें है...
वही तुम्हारा नाम लेती मेरी साँसे है....
बस तुम नही हो....!!
very nice
very nice
ReplyDelete<3 lovely...
ReplyDeletevery nice.........
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteजो नहीं है वही तो है...जब कोई होता है तब ही वास्तव में नहीं होता..
ReplyDeleteआपकी तो हर बात में वही है..
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना...
:-)
ati sunder bhigi bhigi rachna
ReplyDeleteसावन में ठण्ड से कंपाती हवाएं ....?
ReplyDeleteअच्छी रचना .....!!
बेहतरीन रचना और सुंदर अभिव्यक्ति .......!!
ReplyDeleteAwesome hai ji...laajwaab!!
ReplyDeleteसबसे बड़ी कमी है ....कि बस तुम नही हो ....दिल की पुकार !
ReplyDeleteशुभकामनायें !
बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteवही आधी-अधूरी बाते है....
ReplyDeleteवही नींदों से कोसो दूर उदास आखें है...
वही तुम्हारा नाम लेती मेरी साँसे है....
बस तुम नही हो....!!
बेहतरीन रचना और सुंदर अभिव्यक्ति********
bahut sunder ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर .... भावुक
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ....
ReplyDeletepiya bina sukha sawan.......sundar
ReplyDeleteवाह ,बहुत सुंदर भावपूर्ण बधाई
ReplyDeleteऔर किसी का ना होना कितना खलता है हर वक्त ....
ReplyDeleteबहुत खूब
वाह !!! बहुत खूब,सुंदर अभिव्यक्ति,,,सुषमा जी,
ReplyDeleteआपके ब्लॉग को फालो कर लिया हूँ,आप भी फालो करे तो मुझे दिली खुशी होगी,,,
RECENT POST : अपनी पहचान
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबड़ी प्यारी सरल सी अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteबधाई !
भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteबहुत उम्दा भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteबस तुम नहीं हो…………. !!!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया , बधाइयाँ