इन शब्दों को क्या कहूँ.....
कभी खुद के लिखे शब्द जख्म दे जाते है.......
जो हम कहते नही खुद से,
वो सब कुछ ये शब्द कह जाते है.......
कभी ख़ामोशी को शब्द मिल जाते है,
तो कभी शब्दों में ख़ामोशी खो जाती है....
कुछ एहसासों को अर्थ देते-देते,
ये शब्द भी कभी खामोश हो जाते है.......
कभी हमारे मौन में,
यही शब्द चीखते है-चिल्लाते है....
तो कभी हम कुछ कहना भी चाहे,
तो शब्द नही मिल पाते है.........
कितनी ही बार हमारे वजूद को,
वयक्त करते शब्द निशब्द हो जाते है......
कभी ये शब्द खूबसूरती को समेट कर,
पन्नो पर बिखेर देते है......
कभी अतीत में लिपट कर,
इतिहास भी रच देते है.....
अपनी जिद पर आ जाये तो,
अनजानी-अनसुनी सी भाषा को भी,
खास बना देते है......
कभी ये शब्द सरल सीधे,
दिल में उतर जाते है.....
कभी ये कठोर पत्थर की तरह बिखर जाते है.......
कभी ये शब्द लबो की मुस्कान बनते है,
तो कभी आसुओं का सबब बनते है.....
बहुत जादुवी है ये शब्द.....
जिसने इन्हें समझा नही,
तो जीती हुई बाजी भी हारी है उसने.....
जिसने भी इनका जादू समझ लिया,
हारी हुई जंग भी जीती है उसने................!!!
कभी खुद के लिखे शब्द जख्म दे जाते है.......
जो हम कहते नही खुद से,
वो सब कुछ ये शब्द कह जाते है.......
कभी ख़ामोशी को शब्द मिल जाते है,
तो कभी शब्दों में ख़ामोशी खो जाती है....
कुछ एहसासों को अर्थ देते-देते,
ये शब्द भी कभी खामोश हो जाते है.......
कभी हमारे मौन में,
यही शब्द चीखते है-चिल्लाते है....
तो कभी हम कुछ कहना भी चाहे,
तो शब्द नही मिल पाते है.........
कितनी ही बार हमारे वजूद को,
वयक्त करते शब्द निशब्द हो जाते है......
कभी ये शब्द खूबसूरती को समेट कर,
पन्नो पर बिखेर देते है......
कभी अतीत में लिपट कर,
इतिहास भी रच देते है.....
अपनी जिद पर आ जाये तो,
अनजानी-अनसुनी सी भाषा को भी,
खास बना देते है......
कभी ये शब्द सरल सीधे,
दिल में उतर जाते है.....
कभी ये कठोर पत्थर की तरह बिखर जाते है.......
कभी ये शब्द लबो की मुस्कान बनते है,
तो कभी आसुओं का सबब बनते है.....
बहुत जादुवी है ये शब्द.....
जिसने इन्हें समझा नही,
तो जीती हुई बाजी भी हारी है उसने.....
जिसने भी इनका जादू समझ लिया,
हारी हुई जंग भी जीती है उसने................!!!
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (25-07-2013) को "ब्लॉग प्रसारण- 66,सावन के बहारों के साथ" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
ReplyDeleteउत्तम प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार आपका-
शब्द के विभिन्न जादू...
ReplyDeleteशब्द ब्रह्म की महिमा अपार!
ReplyDeleteबहुत जादुवी है ये शब्द.....
ReplyDeleteजिसने इन्हें समझा नही,
तो जीती हुई बाजी भी हारी है उसने.....
जिसने भी इनका जादू समझ लिया,
हारी हुई जंग भी जीती है उसने................!!!
यकीनन शब्दों का जादू सर चढ़ कर बोलता है..गहन भावपूर्ण अभिव्यक्ति !
शब्दों की जादूगरी ही तो हर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति!!बधाई
शब्द से शब्द मिले तो बन जाए कविता
ReplyDeleteशब्द ... हमेशा ही कुछ अलग कर जाते हैं ... बस सही समय पे सही शब्द का प्रयोग हो तो ...
ReplyDeleteप्रेममयी कबिता . उत्तम प्रस्तुति-
ReplyDeleteजादुई शब्दों की माया बहुत ही बढ़ियाँ...
ReplyDelete:-)
बेहतरीन अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteवाह! बहुत सुंदर.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeletelatest postअनुभूति : वर्षा ऋतु
latest दिल के टुकड़े
काश कि शब्दों से परे, भाव तक अपनी पकड़ होती ।
ReplyDeleteकभी ख़ामोशी को शब्द मिल जाते है,
ReplyDeleteतो कभी शब्दों में ख़ामोशी खो जाती है....
कुछ एहसासों को अर्थ देते-देते,
ये शब्द भी कभी खामोश हो जाते है......sahi bat ...bahut sundar rachna ....
शब्द पर लिखी गयी एक सुन्दर रचना।
ReplyDeleteशब्दों की खूबसूरत और यथार्थपरक काव्यगत परिभाषा , उत्तम प्रस्तुति
ReplyDeletebadhiya likha hai ..Shushma ji ..
ReplyDeleteबहुत समर्थ होते हैं शब्द !
ReplyDeleteकभी ये शब्द खूबसूरती को समेट कर,
ReplyDeleteपन्नो पर बिखेर देते है......
कभी अतीत में लिपट कर,
इतिहास भी रच देते है.....
अपनी जिद पर आ जाये तो,
अनजानी-अनसुनी सी भाषा को भी,
खास बना देते है......
वाह क्या शब्दों का जादू है ।
आदरेया आपकी यह सुन्दर प्रस्तुति 'निर्झर टाइम्स' संकलन में शामिल की गई है।
ReplyDeletehttp://nirjhar-times.blogspot.com पर आपका स्वागत् है,कृपया अवलोकन करें।
सादर
शब्द ही तो है जो भावो को आकार देते है... अच्छी कविता...
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