Tuesday, 2 July 2013

तुम तक ही पहुँच जाती हूँ मैं.....!!1

हर बार खुद को ढूंढ़ कर....                  
खुद से मिलाती हूँ मैं.....
तुम मिले थे....

कभी जिन राहो में...
फिर उन्ही राहो पर कही रुक ना जाऊं....
उन राहो से तुम्हारे निशानों को,
मिटाती हूँ मैं....
तुम अब फिर न मिलोगे कभी.....
साथ न दोगे कभी...
तुम अब कही नही हो....
हर बार ये सच...
खुद को बताती हूँ मैं.....समझाती हूँ मैं.....
जब कभी कोई ख्वाब सजाती हूँ मैं....
खुद को ही नही उसमे पाती हूँ मैं....
कितना भी ले आऊं खुद को......तुमसे दूर...
हर बार खुद से ही हार जाती हूँ मैं....
चलती हूँ....किसी भी राह...
तुम तक ही पहुँच जाती हूँ मैं.....

27 comments:

  1. एक प्यारा सा अहसास...

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  2. मन को छूती हुई सुंदर अनुभूति
    बेहतरीन रचना
    बधाई

    जीवन बचा हुआ है अभी---------

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  3. कितना भी ले आऊं खुद को......तुमसे दूर...
    हर बार खुद से ही हार जाती हूँ मैं....
    चलती हूँ....किसी भी राह...
    तुम तक ही पहुँच जाती हूँ मैं.....
    very nice

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  4. कोमल भावों से सजी रचना ....बहुत सुन्दर

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  5. प्रेम में हर राह उसी तक ले जाती है..जैसे सभी प्रणाम गोविन्द तक पहुंच जाते हैं...

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  6. क्या बात है आदरेया-
    आपका आभार-

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  7. खुद को ही नही उसमे पाती हूँ मैं....
    कितना भी ले आऊं खुद को......तुमसे दूर...
    हर बार खुद से ही हार जाती हूँ मैं....
    चलती हूँ....किसी भी राह...
    तुम तक ही पहुँच जाती हूँ मैं...
    वाह.सुन्दर प्रभावशाली ,भावपूर्ण ,बहुत बहुत बधाई...

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  8. बहुत सुंदर रचना,
    बहुत सुंदर


    TV स्टेशन ब्लाग पर देखें .. जलसमाधि दे दो ऐसे मुख्यमंत्री को
    http://tvstationlive.blogspot.in/

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  9. चलती हूँ....किसी भी राह...
    तुम तक ही पहुँच जाती हूँ मैं...

    ....बहुत सुन्दर कोमल अहसास...

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  10. हमेशा की तरह बहुत सुंदर

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  11. प्रेम ऐसा ही होता है . बहुत खूबसूरत भावमयी रचना ..बधाई

    मन के अनकहे भावो को इस रचना में बहा दिया ..आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में मेरी नयी रचना  Os ki boond: मन की बात ...

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  12. चाह क्या नहीं कर सकती ..

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  13. जब कभी कोई ख्वाब सजाती हूँ मैं....
    खुद को ही नही उसमे पाती हूँ मैं....
    कितना भी ले आऊं खुद को......तुमसे दूर...
    हर बार खुद से ही हार जाती हूँ मैं....
    चलती हूँ....किसी भी राह...
    तुम तक ही पहुँच जाती हूँ मैं.

    गजब की कसक देती एहसास

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  14. भावभिनी रचना के लिये बधाई

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  15. कोमल अहसासयूक्त रचना..
    भावपूर्ण...

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  16. बहुत ही बढ़िया


    सादर

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  17. bahut pyari rachna...har rah ki manzil to tum ho....

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  18. वाह, सुन्दर रचना

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  19. Bahut sundar, gehan evam samvedna liye rachna.

    -Shaifali

    http://guptashaifali.blogspot.com

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  20. मोहब्बत के दौर से गुजरने वालों की वास्तविकता है ये।
    अच्छे अल्फाज़

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  21. ehasaason ki paavan anubhooti hai tumhari yaaden.

    uttam v bhavpoorn.

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  22. कोमल भावों से सजी रचना ....बहुत सुन्दर

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  23. कोमल भावों से सजी रचना ....बहुत सुन्दर

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  24. Nostalgia .... it never ends !!!
    nice one.....

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