
तुम्हारा प्यार बन कर......
मुझे छूती बुँदे.....
तुम्हारा एहसास बन कर....
कुछ कहती है बुँदे.....
तुम्हारी आवाज़ बन कर.....
मुझ पर ठहरती है बुँदे....
तुम्हारी नजर बन कर.....
मुझे थामती है ये बुँदे....
तुम्हारी बाहें बन कर....
मेरे होटों पर बिखर जाती है बुँदे....
तुम्हारी कविता बन कर....
हर कोई अनजान है इनसे.....
मेरे आंसुओं में घुल जाती है बुँदे.....
बहुत रुलाती है बुँदे......
तुम्हारी याद बन कर.....
सुंदर अभिव्यक्ति ....शुभकामनायें ...
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसुंदर
ReplyDeleteखूबसूरत खयाल
ReplyDeletebahut kuchh kah kar bhigoti hain ye boonden.
ReplyDeletebehtreen prastuti.
खूबसूरत
ReplyDeleteजिस मूड में हो ...वो मूड बडाती बुँदे.....
ReplyDeleteशुभकामनायें!
bahut sundar kavita..
ReplyDeletebahot badhaai
अति सुंदर
ReplyDeleteबूँद बूँद प्रेम. सुन्दर रचना.
ReplyDeleteutkrisht
ReplyDeleteutkrisht
ReplyDeleteबहुत रुलाती हैं बूँदें
ReplyDeleteतुम्हारी याद बनकर ..
सुन्दर अभिवयक्ति !
बहुत रुलाती हैं बूंदें
ReplyDeleteतुम्हारी याद बनकर ..
सुन्दर शब्द !
वाह बहुत खूब।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना...शुभकामनायें ...
ReplyDeleteवाह, बहुत खूब
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (30-06-2013) के चर्चा मंच 1292 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteअति सुन्दर भावोँ की अभिव्यक्ति। वर्षा की बूँदोँ और प्रेम का अद्भुत समन्वय । बधाई । सस्नेह
ReplyDeleteअति सुन्दर भावोँ की अभिव्यक्ति। वर्षा की बूँदोँ और प्रेम का अद्भुत समन्वय । बधाई । सस्नेह
ReplyDeleteहर रंग को आपने बहुत ही सुन्दर शब्दों में पिरोया है, बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeletebehad khoobsurat khyal.. bahut kuchh kah jati hai barish ki ye bundy
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति %%%%% शुभकामनायें @@@@@
ReplyDeleteबहुत रुलाती है बुँदे......
ReplyDeleteतुम्हारी याद बन कर.....
बहुत खूबसूरत रचना.
शुभकामनाएँ.
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती आभार ।
ReplyDeleteसुन्दर और सार्थक प्रस्तुती
ReplyDeleteबहुत भावमयी प्रस्तुति...
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति...
ReplyDeleteउत्तरांचल तबाही पर कुछ दोहे...
क्या माँ धारी देवी को नाराज करने के कारण केदारनाथ में भीषण तबाही हुई??
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteExcellent !!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती आभार ।
ReplyDeleteमेरे आंसुओं में घुल जाती है बुँदे.....
ReplyDeleteबहुत रुलाती है बुँदे......
तुम्हारी याद बन कर.....
बुँदों और प्रेम का सम्बन्ध शरीर और आत्मा के जैसा होता है ,क्योंकि ये दोनों साफ एवं निष्छल होते हैं !आपने अपनी इस रचना में इसका सुन्दर चित्रण किया है आपको हार्दिक बधाई !
chitranshsoul.blogspot.com
सुन्दर भावोँ की सुंदर अभिव्यक्ति!
ReplyDeletelatest post झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।(बाल कविता )
बहुत सुन्दर प्रस्तुति,यहाँ भी पधारे
ReplyDeletehttp://shoryamalik.blogspot.in/2013/04/blog-post.html
too good
ReplyDeleteबूँदें
ReplyDeleteमुझको भिगोती है
प्यार बनकर
छूती हैं
एहसास बनकर
कुछ कहती हैं
तुम्हारी आवाज़ बनकर
मुझ पर ठहरती हैं
तुम्हारी नजर बनकर
थामती है
तुम्हारी बाहें बनकर
मेरे होटों पर बिखर जाती है
तुम्हारी कविता बनकर
हर कोई अनजान है इनसे
मेरे आंसुओं में घुल जाती हैं
बहुत रुलाती है
तुम्हारी याद बनकर
...मैने ऐसे पढ़ा। कोमल एहसास से आनंदित हुआ।
sundar rachna
ReplyDeletemeri nayi post par aapka swaagat hai...
http://raaz-o-niyaaz.blogspot.com/2013/07/blog-post.html
sarthak rachna.....
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
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