Saturday, 22 June 2013

जवाब क्या होता...........?

क्यों मुझे हरने दिया.......
मेरी हार तुम्हारी हार नही थी.........?
क्यों मुझे टूटने दिया......
क्या मेरे टूटने से तुम भी बिखर न जाते.......?
क्यों मुझे तनहा छोड़ दिया.........
क्या मेरी यादे तुम्हे भी बेचैन न करती.....?
ऐसे बहुत से सवाल थे....
जो मैं तुमसे पूछना चाहती थी...
पर अच्छा  ही है नही पूछा.....
क्यों कि तुम कोई जवाब नही देते........
हमेशा की तरह खामोश रह कर.........
मुझे इस उलझन के साथ छोड़ देते...........
कि अगर तुम जवाब देते...........तो जवाब क्या होता...........?

23 comments:

  1. क्यों मुझे टूटने दिया......
    क्या मेरे टूटने से तुम भी बिखर न जाते.......?

    wah...bahut hee sargarbhit panktiya..badhai..

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  2. Javan ek uljhan ....sunder Kavita.....

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  3. . बहुत सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति . आभार गरजकर ऐसे आदिल ने ,हमें गुस्सा दिखाया है . आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

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  4. वाह, बहुत सुन्दर

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  5. कभी जवाब भी खुद में एक सवाल बन जाता है
    बहुत सुन्दर

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  6. मौन बस ... सुंदर अभिव्यक्ति ....

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  7. कुछ अनुत्तरित से सवाल वाकई मानस पटल पर बारम्बार आते रहते हैं. खुद को किसी भी सिम्त मोड़ दें मगर सवाल आ ही जाते हैं. सुन्दर रचना.

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  8. सुन्दर अभिव्यक्ति

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  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

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  10. कोमल भाव लिए सुन्दर रचना...
    :-)

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  11. बहुत बढि़या ...

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  12. क्यों कि तुम कोई जवाब नही देते........
    हमेशा की तरह खामोश रह कर.........
    मुझे इस उलझन के साथ छोड़ देते...........
    कि अगर तुम जवाब देते...........तो जवाब क्या होता..

    हर सवाल का जवाब नहीं होता समय जवाब देता है

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  13. शायद न ही होता कोई जवाब ...
    मन के गहरे जज्बात बाखूबी लिखे हैं ...

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  14. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  15. मौन मेँ ही सारे सवालोँ के जवाब निहित हैँ । बधाई इतनी भावपूर्ण रचना के लिए । सस्नेह

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  16. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

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  17. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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  18. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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  19. बहुत बढ़िया।

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  20. बहुत सुन्दर सुषमा जी,

    उसके हाथों सबाब क्या होता,
    दिल तोड़ने वाला जवाब क्या होता,
    बेदर्द-बेरहम-बेवफा-संगदिल,
    सिवा इसके ,उसका ख़िताब क्या होता.......

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