क्यों मुझे हरने दिया.......
मेरी हार तुम्हारी हार नही थी.........?
क्यों मुझे टूटने दिया......
क्या मेरे टूटने से तुम भी बिखर न जाते.......?
क्यों मुझे तनहा छोड़ दिया.........
क्या मेरी यादे तुम्हे भी बेचैन न करती.....?
ऐसे बहुत से सवाल थे....
जो मैं तुमसे पूछना चाहती थी...
पर अच्छा ही है नही पूछा.....
क्यों कि तुम कोई जवाब नही देते........
हमेशा की तरह खामोश रह कर.........
मुझे इस उलझन के साथ छोड़ देते...........
कि अगर तुम जवाब देते...........तो जवाब क्या होता...........?
मेरी हार तुम्हारी हार नही थी.........?
क्यों मुझे टूटने दिया......
क्या मेरे टूटने से तुम भी बिखर न जाते.......?
क्यों मुझे तनहा छोड़ दिया.........
क्या मेरी यादे तुम्हे भी बेचैन न करती.....?
ऐसे बहुत से सवाल थे....
जो मैं तुमसे पूछना चाहती थी...
पर अच्छा ही है नही पूछा.....
क्यों कि तुम कोई जवाब नही देते........
हमेशा की तरह खामोश रह कर.........
मुझे इस उलझन के साथ छोड़ देते...........
कि अगर तुम जवाब देते...........तो जवाब क्या होता...........?
क्यों मुझे टूटने दिया......
ReplyDeleteक्या मेरे टूटने से तुम भी बिखर न जाते.......?
wah...bahut hee sargarbhit panktiya..badhai..
Javan ek uljhan ....sunder Kavita.....
ReplyDelete. बहुत सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति . आभार गरजकर ऐसे आदिल ने ,हमें गुस्सा दिखाया है . आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteवाह, बहुत सुन्दर
ReplyDeletekhub
ReplyDeleteकभी जवाब भी खुद में एक सवाल बन जाता है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
मौन बस ... सुंदर अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteकुछ अनुत्तरित से सवाल वाकई मानस पटल पर बारम्बार आते रहते हैं. खुद को किसी भी सिम्त मोड़ दें मगर सवाल आ ही जाते हैं. सुन्दर रचना.
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteकोमल भाव लिए सुन्दर रचना...
ReplyDelete:-)
बहुत बढि़या ...
ReplyDeleteक्यों कि तुम कोई जवाब नही देते........
ReplyDeleteहमेशा की तरह खामोश रह कर.........
मुझे इस उलझन के साथ छोड़ देते...........
कि अगर तुम जवाब देते...........तो जवाब क्या होता..
हर सवाल का जवाब नहीं होता समय जवाब देता है
बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteशायद न ही होता कोई जवाब ...
ReplyDeleteमन के गहरे जज्बात बाखूबी लिखे हैं ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteमौन मेँ ही सारे सवालोँ के जवाब निहित हैँ । बधाई इतनी भावपूर्ण रचना के लिए । सस्नेह
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सुषमा जी,
ReplyDeleteउसके हाथों सबाब क्या होता,
दिल तोड़ने वाला जवाब क्या होता,
बेदर्द-बेरहम-बेवफा-संगदिल,
सिवा इसके ,उसका ख़िताब क्या होता.......