चाँद तुम साक्षी हो......
मेरे प्यार के....मेरे दर्द के...
मेरे आंसूओं के......
तुम साक्षी हो .....
मेरी कोशिशो के....
मेरी दुआओं के.....
तुम साक्षी हो......
रात भर जागती मेरी आखों के....
मेरे टूटते ख्वाबो के...
तुम साक्षी हो....
दूर तक जाती मेरी अँधेरी राहों के....
ख़ामोशी में धड़कती मेरी धडकनों के....
तुम साक्षी हो........
रात से लम्बी हमारी बातो के.......
यादो में गुजरती उन काली रातो के......
तुमसे कहूँ तो क्या कहूँ.......
कि तुमने सम्हाला है मुझे;
हर दौर में....
बचपन में मेरे लिए...
खिलौना बन कर....
जब बड़ी हुई तो मेरी आखों में...
हज़ारो ख्वाब बन कर.......
जब तनहा हुई.......
हमसफ़र बन कर हर रोज़..
मेरी बातो को सुना है तुमने....
न जाने कितनी राते यूँ ही तुम्हे निहारती......
कुछ तुममे तलाशती गुजारी है मैंने.......
तुम साक्षी हो......
मेरी लिखी इन पंक्तियों के...
तुम साक्षी हो......
सबसे छिप कर किसी कोने में...
सुनाई देती मेरी सिसकियों के......
तुम साक्षी हो.....
मेरे टूट कर बिखरने के ......
मेरी उम्मीदों के बधने के.........
मेरे प्यार के....मेरे दर्द के...
मेरे आंसूओं के......
तुम साक्षी हो .....
मेरी कोशिशो के....
मेरी दुआओं के.....
तुम साक्षी हो......
रात भर जागती मेरी आखों के....
मेरे टूटते ख्वाबो के...
तुम साक्षी हो....
दूर तक जाती मेरी अँधेरी राहों के....
ख़ामोशी में धड़कती मेरी धडकनों के....
तुम साक्षी हो........
रात से लम्बी हमारी बातो के.......
यादो में गुजरती उन काली रातो के......
तुमसे कहूँ तो क्या कहूँ.......
कि तुमने सम्हाला है मुझे;
हर दौर में....
बचपन में मेरे लिए...
खिलौना बन कर....
जब बड़ी हुई तो मेरी आखों में...
हज़ारो ख्वाब बन कर.......
जब तनहा हुई.......
हमसफ़र बन कर हर रोज़..
मेरी बातो को सुना है तुमने....
न जाने कितनी राते यूँ ही तुम्हे निहारती......
कुछ तुममे तलाशती गुजारी है मैंने.......
तुम साक्षी हो......
मेरी लिखी इन पंक्तियों के...
तुम साक्षी हो......
सबसे छिप कर किसी कोने में...
सुनाई देती मेरी सिसकियों के......
तुम साक्षी हो.....
मेरे टूट कर बिखरने के ......
मेरी उम्मीदों के बधने के.........
वाह.......बहुत खुबसूरत........
ReplyDeleteबहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,
ReplyDeleteRECENT POST : तड़प,
bahut sundar bahut khub
ReplyDeleteसच, बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteये मूक साक्ष्य बस हिम्मत ही दे सकते हैं ...
ReplyDeleteसंभालना खुद ही होता है ...
प्रेम और जुदाई का खूबसूरत संगम
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति ......दिल की बेचैनी का भावपूर्ण वर्णन ...
ReplyDeleteसाक्षी तो है पर मूक ही रहेगा चाँद ... सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteKhoobsoorat....
ReplyDeleteतुम साक्षी हो.....
ReplyDeleteमेरे टूट कर बिखरने के ......
मेरी उम्मीदों के बधने के...सुन्दर भाव लिए सुन्दर रचना !
latest post परिणय की ४0 वीं वर्षगाँठ !
आपने लिखा....हमने पढ़ा
ReplyDeleteऔर लोग भी पढ़ें;
इसलिए आज 20/06/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिए एक नज़र ....
धन्यवाद!
हर दौर में....
ReplyDeleteबचपन में मेरे लिए...
खिलौना बन कर....
जब बड़ी हुई तो मेरी आखों में...
हज़ारो ख्वाब बन कर.......
जब तनहा हुई...
excellent so beautiful
बहुत बढ़िया रचना.......लेकिन चाँद को साक्षी क्यूँ बनाया..........वो बेचारा, इतनी दूर से चाह कर भी कुछ न कर सकेगा.....
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति...
ReplyDeleteसुन्दर रचना...
ReplyDelete:-)
waah....veryyyyy nice
ReplyDeleteवो साक्षी है...
ReplyDeleteनिश्चित ही!
सुन्दर रचना
ReplyDeleteसुन्दर रचना
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