Monday 21 November 2016

तुम में कही...!!!

तुम कहते हो ना कि,
मैं तुम्हारी फ़िक्र ना करूँ,
तुम्हे छोड़ दूँ,तुम्हे जरुरत नही मेरी...
चलो इस बार मान लेती हूँ,
तुम्हारी सारी बाते....
नही करुँगी तुम्हारी फ़िक्र,छोड़ दूंगी तुम्हे...
पर शर्त ये की तुम लौटा दो,
मुझे वो शामे जो साथ तुम्हारे गुजरी है,
लौटा दो मुझे वो राते,
जो आज भी मेरे जहन में,
खुशबु की तरह बिखरी है..
मुझे लौटा दो वो मेरे ख्वाब,
जो मैं तुम्हारी आँखों को दे आयी थी,
मुझे लौटा दो वो मेरे तीन शब्द,
जो चुपके से तुम्हारे कानो में,
कह आयी थी....
मुझे लौटा दो  मेरे होठो की वो हंसी,
जो तुम्हारे होठो पर रख आयी थी,
मुझे लौटा दो वो जिंदगी,
जो तुम्हारी धड़कनो को दे आयी थी...
मैं आ तो गयी हूँ,तुम्हे छोड़ कर...
पर मेरा सब...
कुछ छुट गया है तुम में कही...
तुम्हे मिल जाये तो,
मुझमे ही लौटा देना मुझको...!!!

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

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