Saturday 12 November 2016

तुम ही तुम हो..!!!

जहाँ मेरी सारी शिकायते,
खत्म हो जाती है,वो तुम ही हो...
जहाँ मेरी ख्वाईशो की बंदिशे,
नही रहती है,वो तुम ही हो...
जहाँ मेरी धड़कने,साँसे कोई मायने,
नही रखती,वो सिर्फ तुम ही हो....
जहाँ मेरे शब्दों के कोई दायरे नही रहते,
मेरे ख्यालो पर कोई,
पहरे नही रहते,वो सिर्फ तुम ही हो...
जहाँ से मेरी मंजिले खत्म हो जाती है,
तलाश कोई और,
राहो नही रहती,वो सिर्फ तुम ही हो..
जहाँ मेरी सोच,मेरे सारे तर्क-वितर्क,
बेअर्थ हो जाते है,
वो सिर्फ तुम ही तुम हो...!!!

2 comments:

  1. प्यारी रचना !बधाई आपको जी !

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  2. बहुत बढ़िया

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