Saturday 25 June 2016

जब तुम जा रहे थे....!!!

जब तुम जा रहे थे,
मैं भी तुम्हारी आँखों में कुछ ढूंढ रही थी,
जो कभी मेरे लिये हुआ करता था....
जिसे महसूस करके,
मैंने जिंदगी के तमाम ख्वाब बने थे...
मैं ढूंढ रही थी तुम्हारी आँखों में,
वो कशिश जो किस्से मैंने,
प्यार की कहानियों में सुने थे....
मैं तुम्हारी आखों में,
वो ढूंढ देखना चाहती थी,
जिसमे मैं सबसे खूबसूरत लगती थी
मैं तुम्हारी आँखो में,
वो उम्मीद ढूंढ रही थी,
जो मेरे साथ मंजिल तक पाने की थी...
मैं तुम्हे रोकना चाहती थी,
पर मैंने रोका नही,क्यों की...
मैं तुम्हारी आँखों में,
वो चाहत ढूंढ रही थी,
जो मेरे बिना कुछ कहे,
मेरी आँखों को पढ़ लेती थी....

2 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " थोपा गया आपातकाल और हम... ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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