Tuesday 21 June 2016

आज मैंने खुद को पढ़ा है....!!!

आज मैंने खुद को पढ़ा है...
कितना कुछ बेतरतीब बिखरा हुआ,
मुझमे रह गया....कितने ही सवाल,
मैंने खुद से भी छिपा रखे है,
कितने ही जवाब,
मैंने खुद को दिये ही नही है....
आज मैंने खुद पढ़ा है....
शब्दों को तो गढ़ती रही,
खुद को कोई छवि ना दे पाई,
कितने ही ख्याल जहन में,
अधूरे से रह गये....कितनी ही गलतियां,
मैंने खुद से की है...
होठो पर मुस्कान,आखों में चमक लिये...
मेरे अंदर कुछ हर पल...
टूट कर रोता रहा है....
कितनी ही बार मैंने,
खुद से मुँह मोड़ लिया है...
आज मैंने खुद को पढ़ा है.....!!!

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