वक़्त किसी लिए नही ठहरता है,
गुजरता जाता है....
बस वक़्त के गुजरने की गति ही धीमी,
और तेज महसूस होती है...
जब कि वक़्त तो,
अपनी ही गति से चलता है..
वक़्त का कोई रंग-रूप नही होता,
वक़्त तो वक़्त ही रहता है,
बुरा या अच्छा तो हम बनाते है..
वक़्त हमसे आगे जो निकल जाये,
तो हम सब गवां देते है,
वक़्त के साथ जो चले हम,
तो इतिहास बना देते है...
कभी जो कुछ बुरा जो हो जाये,
तो उस दर्द को सीने से लगाये बैठे रहते है,
समझते है वक़्त किसी के लिए रुकता नही,
पर नासमझ हो कर वक़्त को गवां देते है..
क्यों ना इस वक़्त से दोस्ती कर ले,
गुजरने दे वक़्त के साथ हर दर्द को..
चलते है इस वक़्त के साथ,
इक इतिहास बना देते है.....!!!
Friday, 2 March 2018
इक इतिहास बना देते है.....!!!
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http://bulletinofblog.blogspot.in/2018/03/blog-post_3.html
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (05-03-2018) को ) "बैंगन होते खास" (चर्चा अंक-2900) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
बहुत सुंदर कविता..वक्त को समझे बिना जीवन को समझा नहीं जा सकता..
ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी...
ReplyDeleteअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 06/03/2018 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
जय मां हाटेशवरी...
ReplyDeleteअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 06/03/2018 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
वाह!!बहुत सुंदर
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