मेरी मुस्कराती आँखों की,
वजह तुम हो,
मेरी खनकती चूड़ियों की,
सरगम तुम हो,
मेरी पायलों की,
छ्म-छ्म तुम हो...
ढलती शामो को,
सिंदूरी करते तुम हो...
जागती आँखों का इंतजार लिये,
वो राते तुम हो...
जिन ख्यालो से बढ़ जाती है,
धड़कने मेरी...
वो बाते तुम हो,
दर्पण में जो देखती हूँ...
खुद को यूँ बार-बार...
मेरा वो श्रृंगार तुम हो,
दुनिया को जो दीखता है..
मेरी आँखों में...
वो प्यार तुम हो...!!!
Sunder lines...
ReplyDeleteMere blog ki new post par aapka swagat hai...