जब तुम जा रहे थे,
मैं भी तुम्हारी आँखों में कुछ ढूंढ रही थी,
जो कभी मेरे लिये हुआ करता था....
जिसे महसूस करके,
मैंने जिंदगी के तमाम ख्वाब बने थे...
मैं ढूंढ रही थी तुम्हारी आँखों में,
वो कशिश जो किस्से मैंने,
प्यार की कहानियों में सुने थे....
मैं तुम्हारी आखों में,
वो ढूंढ देखना चाहती थी,
जिसमे मैं सबसे खूबसूरत लगती थी
मैं तुम्हारी आँखो में,
वो उम्मीद ढूंढ रही थी,
जो मेरे साथ मंजिल तक पाने की थी...
मैं तुम्हे रोकना चाहती थी,
पर मैंने रोका नही,क्यों की...
मैं तुम्हारी आँखों में,
वो चाहत ढूंढ रही थी,
जो मेरे बिना कुछ कहे,
मेरी आँखों को पढ़ लेती थी....
Saturday, 25 June 2016
जब तुम जा रहे थे....!!!
Wednesday, 22 June 2016
जब मैं होती हूँ अकेली ...!!!
तुम्हारे साथ हो कर भी,
जब मैं होती हूँ अकेली ...
फिर शब्द भी बयाँ नही कर पाते,
वो टीस दिल की.....
कि जब तुम मिले तो,
मैंने सब कुछ छोड़ कर,
तुम संग होली...
तुम्ही मेरे हमसफ़र थे,
तुम्ही मेरी सखी....सहेली....
किससे कहूँ बात दिल की,
किसके साथ रो लूँ....
तुम्ही तो थे....
जिससे कहती थी सब कुछ,...
पर ना जाने क्यों....
तुम्हारे साथ हो कर भी,
जब मैं होती हूँ अकेली ...
फिर शब्द भी बयाँ नही कर पाते,
वो टीस दिल की.....!!!
Tuesday, 21 June 2016
आज मैंने खुद को पढ़ा है....!!!
आज मैंने खुद को पढ़ा है...
कितना कुछ बेतरतीब बिखरा हुआ,
मुझमे रह गया....कितने ही सवाल,
मैंने खुद से भी छिपा रखे है,
कितने ही जवाब,
मैंने खुद को दिये ही नही है....
आज मैंने खुद पढ़ा है....
शब्दों को तो गढ़ती रही,
खुद को कोई छवि ना दे पाई,
कितने ही ख्याल जहन में,
अधूरे से रह गये....कितनी ही गलतियां,
मैंने खुद से की है...
होठो पर मुस्कान,आखों में चमक लिये...
मेरे अंदर कुछ हर पल...
टूट कर रोता रहा है....
कितनी ही बार मैंने,
खुद से मुँह मोड़ लिया है...
आज मैंने खुद को पढ़ा है.....!!!
Friday, 17 June 2016
राधा ना बन पाई.....!!!
तुम्हारी संगिनी बन गई,
पर तुम्हारी दोस्त नही बन पायी.....
तुम्हारा प्यार.....तुम्हारी हर चीज पर,
अधिकार तो मिल गया मुझे,
पर तुम्हारे एहसासों को ना छु पाई.....
तुम्हारे साथ सफ़र पर तो,
चलती रही साथ मैं,
पर तुम्हारे ख़्यालो में ना उतर पाई...
जिस तरह सावन की पहली बूंद,
सिर्फ पपहिये की होती है,
मैं तुम्हारी वो पहली ख़ुशी ना बन पाई,
मैं तुम्हारी जिम्मेदारी तो बन गई,
पर फ़िक्र ना बन पाई...
मैं तुम्हारी हकीकत तो बन गई,
पर तुम्हारी कल्पना सी ना बन पाई...
मैं तुम्हारी अर्धग्नि तो बन गई,
पूरी हो कर भी अधूरी ही रही....
मैं तुम्हारी रुक्मणी तो बन गई,...
पर राधा ना बन पाई.....!!!