वो इक शाम जो...
तुम्हारे साथ गुजारी थी...
तुम्हे याद है.....
भीगी घास पर नंगे पाँव,
जब हम चल रहे थे....
तुम्हे पता है...
मैं तुम्हारा हाथ थाम कर,
दौड़ जाना चाहती थी....
वो इक शाम....
जब काफी के साथ चुपके से,
इक दुसरे को देख कर,
हम मुस्करा देते थे...
वो इक शाम....
जो सिर्फ तुम्हारी..
इक मुस्कान को देखने के लिए,
मैंने तुम्हारे साथ गुजारी थी....
वो इक शाम....
जब ख़ामोशी भी गुनगुनायी थी....
लिखा कुछ था मैंने...
वो ग़ज़ल तुमने सुनाई थी....
वो इक शाम....
जो ढलते हुए अपने साथ,
तुम्हारी याद लायी थी....
वो इक शाम....
शायद मैंने कुछ कहा था...
या फिर तुमने कानो में,
चुपके से कोई बात बतायी थी....
तुम्हारे साथ बीती,
हर शाम मेरी आने वाली...
हर शामो को महकाती है....
जब तुम नही होते हो...
तो बन कर हमसफ़र...
मेरे साथ बैठ जाती है...
वो इक शाम...!!!
तुम्हारे साथ गुजारी थी...
तुम्हे याद है.....
भीगी घास पर नंगे पाँव,
जब हम चल रहे थे....
तुम्हे पता है...
मैं तुम्हारा हाथ थाम कर,
दौड़ जाना चाहती थी....
वो इक शाम....
जब काफी के साथ चुपके से,
इक दुसरे को देख कर,
हम मुस्करा देते थे...
वो इक शाम....
जो सिर्फ तुम्हारी..
इक मुस्कान को देखने के लिए,
मैंने तुम्हारे साथ गुजारी थी....
वो इक शाम....
जब ख़ामोशी भी गुनगुनायी थी....
लिखा कुछ था मैंने...
वो ग़ज़ल तुमने सुनाई थी....
वो इक शाम....
जो ढलते हुए अपने साथ,
तुम्हारी याद लायी थी....
वो इक शाम....
शायद मैंने कुछ कहा था...
या फिर तुमने कानो में,
चुपके से कोई बात बतायी थी....
तुम्हारे साथ बीती,
हर शाम मेरी आने वाली...
हर शामो को महकाती है....
जब तुम नही होते हो...
तो बन कर हमसफ़र...
मेरे साथ बैठ जाती है...
वो इक शाम...!!!
Khubsurat ...
ReplyDeleteवाह वाह
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ,मन को छूते शब्द ..
ReplyDeleteलिखा कुछ था मैंने...
ReplyDeleteवो ग़ज़ल तुमने सुनाई थी....
बहुत खूब.....्वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
अति सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
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