Saturday 13 June 2015

इक साथ...!!!

मैं कब से ढूंढ रही...
इक साथ...
जो मेरे डरने से,
पहले मेरे हाथ थाम ले...
इक साथ जो मेरी आखों में,
आँसू आने से पहले,
होटों पर मुस्कान दे....
इक साथ जो...
मैं जब जिन्दगी से...
थक जाऊं तो...
वो मेरी आखिरी कोशिश बन के...
मुझको सम्हाल ले....
इक साथ जिसके साथ,
तपती धुप में भी चलना,
मुझे छाव लगे.....
इक साथ जिसके लिये....
मैं खुद को खो भी दूँ..
तो वो मुझसे कहे....
तुम्हारे लिये मैं हूँ ना...!!!

7 comments:

  1. pyari chah...sundar.....mere blog me bhi aao.

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (15-06-2015) को "बनाओ अपनी पगडंडी और चुनो मंज़िल" {चर्चा अंक-2007} पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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