तुम्हारे लिए अपनी आखो में लहरो,
को छुपा कर ला रही हूँ.....
जब तुम देखोगे मेरी आखों में तो,
समंदर कि गहराई और.....
लहरो कि मस्ती दिखायी देगी.....!
तुम्हारे लिए मुठ्ठी में अपने,
कुछ सीप समेट कर ला रही हूँ.....
जब तुम लोगे इन्हे अपनी हथेली में,
तो कुछ रेत तुम्हारे हाथो से,
लिपटती जायगी......!
तुम्हारे लिए अपनी तरफ,
बढ़ती लहरो कि आवाज़.....वो गरजता समंदर
दिल में समेट कर लायी हूँ....
जब तुम मेरी धड़कनो को सुनोगे तो,
थिरकती हर धड़कन सुनायी देगी......!!!
को छुपा कर ला रही हूँ.....
जब तुम देखोगे मेरी आखों में तो,
समंदर कि गहराई और.....
लहरो कि मस्ती दिखायी देगी.....!
तुम्हारे लिए मुठ्ठी में अपने,
कुछ सीप समेट कर ला रही हूँ.....
जब तुम लोगे इन्हे अपनी हथेली में,
तो कुछ रेत तुम्हारे हाथो से,
लिपटती जायगी......!
तुम्हारे लिए अपनी तरफ,
बढ़ती लहरो कि आवाज़.....वो गरजता समंदर
दिल में समेट कर लायी हूँ....
जब तुम मेरी धड़कनो को सुनोगे तो,
थिरकती हर धड़कन सुनायी देगी......!!!
बहुत सुन्दर प्रेम में लिप्त ये तोहफे अति उत्तम है..
ReplyDeleteसुन्दर प्यारी रचना...
:-)
बहुत सुन्दर भाव ,सुन्दर शब्द चयन !
ReplyDeleteनई पोस्ट मेरी प्रियतमा आ !
नई पोस्ट मौसम (शीत काल )
wah bahut sundar pyar say bhari rachna
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर प्रस्तुति। अंतिम पंक्ति में यदि फिर से धडकन की जगह लहर रहे तो कैसा हो।
ReplyDeleteमित्रवर!गणतन्त्र-दिवस की ह्रदय से लाखों वधाइयां !
ReplyDeleteरचना अच्छी है !
सुंदर भावों से सजी खूबसूरत रचना...
ReplyDeleteगणतन्त्र दिवस की शुभकामनायें और बधाईयां...जय हिन्द...
ReplyDeleteप्यारी रचना, बधाई.
ReplyDeleteअति सुन्दर ..
ReplyDeleteअनंत स्नेह का सुन्दर उदगार.
ReplyDeleteतुम्हारे लिए अपनी तरफ,
ReplyDeleteबढ़ती लहरो कि आवाज़.....वो गरजता समंदर
दिल में समेट कर लायी हूँ.
बहुत खूब ..मोहब्बत का नया रुप..सुन्दर..
बहुत सुन्दर भाव |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeletesunder abhivyakti prem bhaav ki
ReplyDeleteshubhkamnayen
हर इक पल में खुद के संग किसी और को जीना यही तो सच्चा प्रेम है
ReplyDeleteबहुत खूब !