कुछ कागज़ एक कलम..
कुछ स्याही लेकर फिर बैठी हूँ....
तुमको छोड़ कर सब कुछ लिखूंगी,
आज ये सोच कर बैठी हूँ....
लिखने के लिए कलम भी बेताब है,
पर कोई ख्याल आता ही नही....
तुमको जो छोड़ती हूँ तो,
ये शब्द मुझे छोड़ देते है
क्यों एहसासो को शब्दो में बांध नही पाती हूँ,
जब तुम नही होते हो...
क्यों शब्दो में विश्वास नही ला पाती,
जब तुम नही होते हो...
क्यों जिंदगी तुमसे शुरू...
तुम पर ही खत्म होती है....
क्यों मुझे सवालो के जवाब नही मिलते,
जब तुम नही होते हो.....
क्यों गुजरता है सिर्फ सफ़र मंजिल नही मिलती,
जब तुम नही होते हो....
ये तुम्हारे प्यार का असर है,
या मेरी जिद है कि खुद में तुमको शामिल करने की....
एक दिवार सी बना रखी है.....तुम्हारे नाम की
खुद को कैद कर रखा है.......तुम्हारे प्यार में
तुम तो कब के जा चुके हो...
मेरी राहो से मेरी मंजिलो को छोड़ कर...
मैं ही हूँ तुमको छोड़ती ही नही,
छोड़ना चाहती ही नही.....
खुद को तुमसे बांध कर बैठी हूँ....
तुमको छोड़ कर सब कुछ लिखूंगी,
आज ये सोच कर बैठी हूँ.....!!!
कुछ स्याही लेकर फिर बैठी हूँ....
तुमको छोड़ कर सब कुछ लिखूंगी,
आज ये सोच कर बैठी हूँ....
लिखने के लिए कलम भी बेताब है,
पर कोई ख्याल आता ही नही....
तुमको जो छोड़ती हूँ तो,
ये शब्द मुझे छोड़ देते है
क्यों एहसासो को शब्दो में बांध नही पाती हूँ,
जब तुम नही होते हो...
क्यों शब्दो में विश्वास नही ला पाती,
जब तुम नही होते हो...
क्यों जिंदगी तुमसे शुरू...
तुम पर ही खत्म होती है....
क्यों मुझे सवालो के जवाब नही मिलते,
जब तुम नही होते हो.....
क्यों गुजरता है सिर्फ सफ़र मंजिल नही मिलती,
जब तुम नही होते हो....
ये तुम्हारे प्यार का असर है,
या मेरी जिद है कि खुद में तुमको शामिल करने की....
एक दिवार सी बना रखी है.....तुम्हारे नाम की
खुद को कैद कर रखा है.......तुम्हारे प्यार में
तुम तो कब के जा चुके हो...
मेरी राहो से मेरी मंजिलो को छोड़ कर...
मैं ही हूँ तुमको छोड़ती ही नही,
छोड़ना चाहती ही नही.....
खुद को तुमसे बांध कर बैठी हूँ....
तुमको छोड़ कर सब कुछ लिखूंगी,
आज ये सोच कर बैठी हूँ.....!!!
तुमको छोड़ कर सब कुछ लिखूंगी,
ReplyDeleteआज ये सोच कर बैठी हूँ.....!!!
कि बस जो कुछ लिखूंगी
तुम पर ही लिखूंगी बस ......क्या बात है ?
शुभकामनायें!
तुमको जो छोड़ती हूँ तो,
ReplyDeleteये शब्द मुझे छोड़ देते है
Kya baat...bahut sundar:-)
अच्छी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteनई पोस्ट नेता चरित्रं
नई पोस्ट अनुभूति
बढ़िया प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार आदरणीया-
क्यों जिंदगी तुमसे शुरू...
ReplyDeleteतुम पर ही खत्म होती है...
YAHI JINDGI KI SACCHAAI HAI ....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (08-12-2013) को "जब तुम नही होते हो..." (चर्चा मंच : अंक-1455) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह, बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDelete"तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है " सुन्दर रचना...किसी की याद आ गयी...
ReplyDeleteसच, कभी-कभी किसी के बिना सब कुछ अधूरा लगता है
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत एहसास.. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति .
ReplyDeleteउसके सिवा कुछ है कहाँ कुछ...प्रेम को छोड़ दें तो जीना कितना बेमकसद हो जाता है...बहुत सुंदर भाव !
ReplyDeleteप्रेम के कोमल अहसास लिए..
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना...
क्या ख़ूब वाह!
ReplyDeleteइसी मोड़ से गुज़रा है फिर कोई नौजवाँ और कुछ नहीं
सुन्दर लिखा है..
ReplyDeleteतू ही तो है मेरे मन में
ReplyDeleteऔर तू ही है जीवन में
फिर तेरे बिन कैसा लिखना
तू ही तो है मेरे मन में
ReplyDeleteऔर तू ही है जीवन में
फिर तेरे बिन कैसा लिखना
प्रेममय सुंदर भावों की अभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteबहुत बढिया..
ReplyDeleteवाह...बहुत उम्दा भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी
अक्सर कुछ लोग शब्दों कि प्रेरणा बन जाते हैं । सुन्दर रचना |
ReplyDeletebahut hi sundar rachna..
ReplyDeletePlease Share Your Views on My Website.. Thank You !
जब सब ख्याल तुम्ही से हैं तो ... तो तुम जाओगे भी कैसे ...
ReplyDeleteभावपूर्ण ....
तुम पर ही खत्म होती है....
ReplyDeleteक्यों मुझे सवालो के जवाब नही मिलते,
hmmmm
jaanti ho......saal bhr pehle...aapne meri ik rchnaa pe comment diyaa thaa...2011 me...2 saal shaayd...hmm...aaj us rchnaa koprte waqt...aapka comment praa.........aur aapke blog tak pahunchi.............hmmmmm....khush hun...yahaan aayi......hmmm....yun lg rha he....aaj se kuch saalon pehle ...wali main...ko pr rhii hun.......aapki rchnaa me...ehsaas hi ehsaas he..direct dil se.......koi milaawat nhi....kahi koi milawat nhi...bas bedhadak..zazbaat.....khush aapko pr ke....
मैं ही हूँ तुमको छोड़ती ही नही,
ReplyDeleteछोड़ना चाहती ही नही.....
खुद को तुमसे बांध कर बैठी हूँ....
तुमको छोड़ कर सब कुछ लिखूंगी,
आज ये सोच कर बैठी हूँ.....!!!
बहुत सुन्दर....बहुत कोमल भाव...
तुमको छोड़ कर सब कुछ लिखूंगी,
ReplyDeleteआज ये सोच कर बैठी हूँ.....!!!
बहुत सुन्दर....बहुत कोमल भाव...