
तुमसे गुजरे हर लम्हे का हिसाब लेना था...तुमसे
पर अफ़सोस चाह कर भी कहाँ बात हुई है तुमसे....
परिचित कहाँ कुछ था हमारे बीच,
इक अजनबी जैसे कोई मुलाकात हुई है तुमसे....
नजरे कही ना मिल जाये..
कोई राज ना मेरा तुमको मिल जाये,
खुद को तुमसे छुपाते-छुपाते..
इक रहस्मयी मुलाकात हुई है तुमसे....
कुछ सवालो में उलझे जवाब थे तुम्हारे,
कुछ जवाबो में उलझे सवाल थे मेरे...
ऐसी ही कुछ उलझी-उलझी सी मुलाकात हुई है...तुमसे
वो एक दूसरे के सच को झूठ बताना,
वो एक दूसरे के सच को झूठ मान लेना....
आधी झूठी आधी सच्ची इक मुलाकात हुई है तुमसे.......
अर्से बाद मुलाकात हुई है...
तुमसे गुजरे हर लम्हे का हिसाब लेना था...तुमसे
पर अफ़सोस चाह कर भी कहाँ बात हुई है तुमसे......!!!
मिलकर भी कहाँ मिल पाए...कुछ भी तो नहीं कह पाए
ReplyDeleteकुछ कहे अनकहे
ReplyDeleteअद्भूत और अनोखी
कितने सवाल जवाब मगर हुई कहाँ है बाते !
ReplyDeleteन जी भर के देखा न कुछ बात की
बहुत आरजू थी मुलाकात की !
मुलाकात हुई पर संबाद नहीं हुई ......
ReplyDeleteनई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य ( भाग २ )
बहुत सुन्दर.. भावपूर्ण.
ReplyDeleteतुमसे गुजरे हर लम्हे का हिसाब लेना था...तुमसे
ReplyDeleteपर अफ़सोस चाह कर भी कहाँ बात हुई है तुमसे..
बहुत सुन्दर .
नई पोस्ट : मृत्यु के बाद ?
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (22-12-2013) को "वो तुम ही थे....रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1469" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!!
- ई॰ राहुल मिश्रा
ऐसा अक्सर हो जाता है कि कुछ बातें अनकही रह जाती हैं... यही तो प्रेम की ऊँचाइयों की सीढ़ीयाँ हैं!!
ReplyDeletesundar abhiyakti....milkar bhi na milna....keh kar bhi ankaha reh jana
ReplyDeleteवाह कितने गहरे अहसासों को पिरोया है ………बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteबरसों का हिसाब ... पल भर में खत्म हो जाता है ...
ReplyDeleteयही तो प्रेम है ...
आधी झूठी आधी सच्ची इक मुलाकात हुई है तुमसे.......bahut khub
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