Sunday 1 July 2012

......छोड़ आयी हूँ......!!!


मैं खुद को किसी के इन्तजार में,
किसी मोड़ तनहा छोड़ आयी हूँ.
ख़ुशी से झूमी थी जिस लम्हे,
किसी मोड़ पर वो लम्हा छोड़ आयी हूँ.... 

सुई में रंग-बिरंगे धागों को पिरो कर 
कुछ फूलो को गढ़ आयी हूँ...
उन्ही फूलो में कुछ रंग-बिरंगे,
सपने छोड़ आयी हूँ.....

सहज कर रखी थी जो गुड़ियाँ,
उसके पास कही अपना बचपन छोड़ आयी हूँ.....
कितनी ही कागज़ की नाव बना कर,
बारिश में बहा दी थी....
उनमे कुछ डूबतीहुई,कुछ तैरती छोड़ आयी हूँ.....

सावन में झूलो पर झूली थी जिनके साथ..
वो सहेलियां छोड़ आयी हूँ.....
सुलझा न पायी थी जिन्हें,
कुछ पहेलियाँ छोड़ आयी हूँ......!!!

50 comments:

  1. कुछ तो है जिसे छोड़ दिया पर कोई डोर अब भी बंधी है.....
    बंधी है न???

    बहुत सुन्दर भाव.....

    अनु

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  2. सच मे छूटता छूटता ही बढ़ता है जीवन ...!!
    सुंदर अभिव्यक्ति ....!!!

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  3. सुलझा न पायी थी जिन्हें,
    कुछ पहेलियाँ छोड़ आयी हूँ......!!! bahut sundar...........

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  4. क्या बात है!!
    आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 02-07-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-928 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  5. रहेंगी जिन्दगी भर वो यादेँ साथ तेरे
    जिन्हें अतीत में तन्हा छोड़ आई हो....
    खूबसूरत रचना!

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  6. Bahut khoob...

    chod aaye hum wo galiyan....ye gaana yaad aa gaya..:-)

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  7. par ykin kijiye kuch bhi chhut-ta nahi hai...
    bahut sundar kavita bhaw..

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  8. सावन में झूलो पर झूली थी जिनके साथ..
    वो सहेलियां छोड़ आयी हूँ.....
    सुलझा न पायी थी जिन्हें,
    कुछ पहेलियाँ छोड़ आयी हूँ......!!!
    वाह... बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  9. सावन में झूलो पर झूली थी जिनके साथ..
    वो सहेलियां छोड़ आयी हूँ.....
    सुलझा न पायी थी जिन्हें,
    कुछ पहेलियाँ छोड़ आयी हूँ......!!!

    कुछ छुट जाता है ,कुछ छोड़ जाता है
    बस जीवन का यही क्रम हमें एक दुसरे से
    जोड़ जाता है या तोड़ जाता है .......

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  10. बहुत उम्दा भाव अभिव्यक्ति,,,सुंदर रचना,,,,

    MY RECENT POST...:चाय....

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  11. छोड़ने के बाद भी शिद्दत से जुड़ी हुई हैं .... सुंदर अभिव्यक्ति

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  12. आपकी कवितावों में एक दर्द होता हैं। कई बार आपकी कवितायेँ पढ़ते हुए मुझे एक अजीब तरह का अनुभव हुआ है, कुछ खोने का। जैसे न चाहते हुए भी वक़्त और परिस्तिथियों के हाथों मजबूर होकर हमें कुछ खोना पड़ा हो। पर जिंदगी सिर्फ खोने का नाम नहीं हैं। यहाँ कई बार हमें कुछ पाने को भी मिलता है। और वैसे भी, दिन रात का चक्कर तो चलता रहता है। आप ही जरा सोचो न, रात के बाद जब सवेरा होता है तो कितना मनोरम होता है। लाल रंग के रथ पर सूरज जब आता है तो अपने साथ कई खुशिया भी लाता है। और वैसे भी, उस रात के अँधेरे पर सूरज का ये उजाला हरदम से हावी होता रहा है। तो फिर आपकी कविताएं क्यों....???
    माफ़ कीजियेगा, मुझे ये सवाल पूछने का हक़ किसी ने भी नहीं दिया, पर फिर भी एक हक़ के साथ पूछ रहा हु, शायद मानवता का नाम जानती होंगी आप...।

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  13. प्रभावित करती... सुंदर अभिव्यक्ति..

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  14. हम भले ही किसी को छोड़ दें पर यादें हमें नहीं छोड़्ती...सुन्दर प्रस्तुति..

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  15. सावन में झूलो पर झूली थी जिनके साथ..
    वो सहेलियां छोड़ आयी हूँ.....
    सुलझा न पायी थी जिन्हें,
    कुछ पहेलियाँ छोड़ आयी हूँ....

    जीवन में आगे बढते जाना होता है और ऐसे में कुछ पीछे भी छूट जाता है ...
    भावपूर्ण रचना है ...

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  16. Awesome Yaadon me saheja hai aur is kavita me bhi jise aap chhor aayi thi......

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  17. मैं खुद को किसी के इन्तजार में,
    किसी मोड़ तनहा छोड़ आयी हूँ.
    ख़ुशी से झूमी थी जिस लम्हे,
    किसी मोड़ पर वो लम्हा छोड़ आयी हूँ....
    और अब खुद से भी दूर खुद की भी तलाश जारी है...बहुत गहन भाव !

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  18. कितनी ही कागज़ की नाव बना कर,
    बारिश में बहा दी थी....

    bahut sundar bhawabhivyakti...

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  19. सुंदर रचना....
    गुल्लक बीते काल का, बिखरा चलता फोड़।
    उलट पुलट के देखता, क्या क्या आया छोड़॥

    सादर।

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  20. वाह बहुत ही सुन्दर......लाजवाब।

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  21. सुलझा न पायी थी जिन्हें,
    कुछ पहेलियाँ छोड़ आयी हूँ......!!!
    ... बेहतरीन शब्‍द रचना ..

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  22. सुलझा न पायी थी जिन्हें,
    कुछ पहेलियाँ छोड़ आयी हूँ......!

    बहुत सुन्दर

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  23. बहुत ही बढ़िया

    सादर

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  24. कुछ छोड़ा तो कुछ पाया होगा

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  25. मैं खुद को किसी के इन्तजार में,
    किसी मोड़ तनहा छोड़ आयी हूँ.

    विछोह का यह क्षण बहुत मिश्रित भावनाएँ जगाता है.
    ऐसी अनुभूतियों पर सुंदर रचना.

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  26. मन के भावो को व्यक्त करती बहुत सुन्दर रचना...
    हरकते छुटी है पर उसकी यादे साथ है...
    बहुत सुन्दर......
    :-)

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  27. बस ऐसे ही लम्हे छूटते जाते हैं ...और उनकी जगह यादें संग हो लेतीं हैं .......और यही बन जाती हैं सेतु उन तक पलटकर पहुँचने के लिए ....सुन्दर रचना !

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  28. बहुत सुन्दर रचना.........बहुत कुछ याद दिलाती है ..........

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  29. सुलझा न पायी थी जिन्हें,
    कुछ पहेलियाँ छोड़ आयी हूँ....................लाजवाब।

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  30. उत्तम अभिव्यक्ति।

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  31. कुछ पहेलियाँ छोड़ आयी हूँ.

    बहुत सुन्दर....
    मन को छू लेने वाली रचना.....

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  32. बहुत सी चीजे पीछे छूट जाती हैं मगर यादें पीछा नहीं छोड़ती
    तभी तो आज ये कविता हमसब के सामने है .....
    सुंदर अभिव्यक्ति !!

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  33. कितनी ही कागज़ की नाव बना कर,
    बारिश में बहा दी थी....
    उनमे कुछ डूबतीहुई,कुछ तैरती छोड़ आयी हूँ.....

    ...बहुत खूब! बहुत सुन्दर अहसास और उनकी लाज़वाब अभिव्यक्ति...

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  34. आशाये रहनी चाहिए ! शुभकामनायें आपको !

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  35. bhut bhut pyari rachna aur parstuti....

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  36. bhut bhut pyari rachna aur parstuti...

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  37. बहुत ही बढ़िया |

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  38. सुलझा न पायी थी जिन्हें,
    कुछ पहेलियाँ छोड़ आयी हूँ...
    ..
    aap hamesha hi bhavnaon ko badi kushalta se ukertr hain sushma ji
    jab bhi aapko padhna hota hai ...gahre doobna hota hai aapki kavitaon me !

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  39. सहज कर रखी थी जो गुड़ियाँ,
    उसके पास कही अपना बचपन छोड़ आयी हूँ.....
    कितनी ही कागज़ की नाव बना कर,
    बारिश में बहा दी थी....
    उनमे कुछ डूबतीहुई,कुछ तैरती छोड़ आयी हूँ.....
    सुषमा जी...बेहद खूबसूरत न मासूम अभिव्यक्ति | हर पंक्ति मानो एक स्मृति से लिपटी हुई है...

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  40. बहुत सुन्दर एहसास प्यारी रचना ...वाह

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  41. सुलझा न पायी थी जिन्हें,
    कुछ पहेलियाँ छोड़ आयी हूँ.

    जिंदगी और उसके दृश्य अनसुलझी पहेलियां ही तो हैं।
    भावों की सुंदर अभिव्यक्ति।

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  42. सुलझा न पायी थी जिन्हें,
    कुछ पहेलियाँ छोड़ आयी हूँ.

    जिंदगी और उसके दृश्य अनसुलझी पहेलियां ही तो हैं।
    भावों की सुंदर अभिव्यक्ति।

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  43. "acchi kavita'

    maine is kavita ko pasand kiya ..

    Dhanyavad..

    http://yayavar420.blogspot.in

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  44. Paragraph writing is also a fun, if you be acquainted with
    then you can write or else it is complicated to write.

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