बहुत मुश्किल सा दौर है ये...
किसी को समझना इतना मुश्किल होगा...
ये नही पता था ?
जिन्दगी इस रूप में भी आएगी,
कुछ था जो खामोश था..
कुछ अनकहा था.....
पर क्या था?
ये भी नही पता था....!!!
जवाब ढूंढ़ रही हूँ पर क्यू?
शायद सवालो का भी नही पता था......
बहुत मुश्किल सा दौर है ये...
उसको को समझना इतना मुश्किल होगा...
ये नही पता था?????
कुछ पूछना था शायद किसी से,
या कुछ बताना था शायद मुझको
ख़ामोशी कुछ इस तरह फैली थी हमारे बीच
यूँ लग रहा था,
कहने और सुनने के लिए कुछ नही बचा था .............
Good one...
ReplyDeletejivan path par khamoshi kai baar hamari himmat ban jati hai
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन भाव पुर्ण सुंदर रचना,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
यूँ लग रहा था,
ReplyDeleteकहने और सुनने के लिए कुछ नही बचा था .............
बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना...
सुषमा जी, इसी का नाम जिंदगी हैं, जहाँ कई बार हम लोगो के लिए और लोग हमारे लिए अनजान हो जाते हैं। जहाँ हमारे हाथ कई मजबूरियों से बंधे होते हैं और हम चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते हैं। जहाँ कई बार हमें प्यार के बदले धोखा और चाहत के बदले नफरत मिलती हैं, पर इनसे घबराना नहीं चाहिए, आखिर ये भी अनुभव हैं, इस जीवन के।
ReplyDeleteज़िंदगी में बहुत कुछ पता नहीं होता ..... जैसा वक़्त आता है उसी अनुसार ढलना पड़ता है ..... अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteइतना निराश होने की ज़रूरत नहीं है,बेहतर होगा कि 'कुछ नहीं' मे 'कुछ' ऐसा तलाशा जाए जो सकारात्मक हो।
ReplyDeleteसादर
सच कहा हैं आपने..बहुत ही अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteख़ामोशी कुछ इस तरह फैली थी हमारे बीच
ReplyDeleteयूँ लग रहा था,
कहने और सुनने के लिए कुछ नही बचा था .............bahut khub ....
great creation.
ReplyDeleteखामोशी कभी एक प्रश्न है..तो हल भी.स्वयं ही बन जाती है...
ReplyDeleteवाह .. बहुत बढिया
ReplyDeleteकल 20/06/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
बहुत मुश्किल सा दौर है ये
फ़ासले ऐसे भी होंगे ,,,ये कभी सोचा न था ...
ReplyDeleteपास बैठा था वो मेरे पर वो मेरा न था !!!
ये दूरियां भी मिटेंगी ...
शुभकामनाएँ!
मन की उलझन है...........
ReplyDeleteसुलझेगी ज़रूर....
एहसासों को बखूबी उतारा है शब्दों में....
कई बार जिंदगी दोराहों प[आर खड़ा करती है जो नहीं सोचा होता वही हो जाता है ।
ReplyDeleteantarman ki vyathaa...sundar
ReplyDeleteजिंदगी यूँ ही चलेगी ...
ReplyDeleteपता तो नहीं रहता , पर आहटें आती हैं - समझाती हैं , पर हम कान बन्द कर लेते हैं , देखकर भी अनदेखा करते जाते हैं ...
ReplyDeleteबहुत से ऐसे लम्हे आते हैं जब खामोशी के अलावा कहने सुनने कों कुछ नहीं होता ... पर ऐसे में कभी कभी आंके काम आ जाती हैं ...
ReplyDeleteकुछ पूछना था शायद किसी से,
ReplyDeleteया कुछ बताना था शायद मुझको
ख़ामोशी कुछ इस तरह फैली थी हमारे बीच
यूँ लग रहा था,
कहने और सुनने के लिए कुछ नही बचा था .............
यारों वो न समझे हैं न समझेंगे जुबा खामशी की तू ही कुछ समझा जा .. . अच्छी प्रस्तुति .कृपया यहाँ भी पधारें -
बुधवार, 20 जून 2012
क्या गड़बड़ है साहब चीनी में
क्या गड़बड़ है साहब चीनी में
http://veerubhai1947.blogspot.in/
कुछ पूछना था शायद किसी से,
ReplyDeleteया कुछ बताना था शायद मुझको
ख़ामोशी कुछ इस तरह फैली थी हमारे बीच
यूँ लग रहा था,
कहने और सुनने के लिए कुछ नही बचा था ...
zindagi kayahi falsafa hai.
agar pata hota jo ki nahi pata tha, to kya itani sundar rachana ban pati...?
ReplyDeleteजिंदगी अपने साथ ऐसे ही सवाल
ReplyDeleteलिए चलती है..जो हमेशा उलझन
की स्थिति उत्पन्न कर देता है...
मन के भावो को बहुत ही सुन्दरता
से व्यक्त किया है..सुन्दर रचना...
बहुत बेहतरीन रचना....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
बारिशों में आज भी भीगती हूँ,
ReplyDeleteक्यों कि बूंदों के संग,
आसुओं का बह जाना अच्छा लगता है...
मयूरपंखी कल्पना, वाह !!!!!!!!!!!!!!!!!
बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना...
ReplyDeletekhoobsurti ke saath likhi hui......
ReplyDeleteअच्छी कविता है सुषमा जी!!
ReplyDeleteसही है, कभी-कभी किसी को समझना बहुत मुश्किल होता है।
ReplyDeleteज़िंदगी से जुड़ी अच्छी कविता।
इस दौर की दुविधा का सुन्दर चित्रण
ReplyDeleteजीवन के कई दौर आते हैं चले जाते हैं. कुछ को हम समझ पाते हैं कुछ को नहीं. कविता इस बात को सुंदरता से कह गई है.
ReplyDeleteसुंदर शब्दों का चयन ,सुन्दर भाव अभिवयक्ति है आपकी इस रचना में
ReplyDeletehttp://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
aaj pahli baar aake blog par aaya..ek saans men kai saari rachnayen padh gaya..seedhe seedhe dil se nikle hue shabdon ki tareef ke liye shabd aksar kam pad jate hain...sundar aur sarthak lekhan ke liye badhaai..
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