Friday 1 June 2012

वो खुद मिल गया है मुझे...मंजिल बन कर...

इक शख्स मुझको यूँ ही,                                        
किसी मोड़ पर मिल गया था....
कुछ बात तो नही हुई थी,
उस पहली मुलाकात में....

फिर भी इक अनजाना सा एहसास था,
उसके मेरे साथ होने पर....
उसकी आवाज़ थी जो ना जाने कब,
सीधे मेरे दिल में उतर गयी थी..... 

उसकी आखें जो दिल की,
सारी बाते  कह जाती थी.... 
ये शायद उसको भी पता नही था.....
वो अनजान था अपने ही दिल से,
मैं न जाने कब उसके दिल के,
इतने करीब आ गयी....

कहाँ कुछ भी नही था उसने,
सुना मैंने भी कुछ नही था,
उसकी खामोशियाँ सब कह रही थी....और
मैं नही मेरी धड़कने सब समझ रही थी.....
कुछ भी इक जैसा नही था हमारे बीच,
फिर हम इक-दूसरे के होते जा रहे थे......

इक शख्स मुझको यूँ ही,
किसी मोड़ पर मिल गया था....
सुना तो था की जिन्दगी का कोई मोड़,
हमें किसी न किसी मंजिल पर पहुँचाता है....
पर इस  मोड़ पर वो खुद मिल गया है मुझे...मंजिल बन कर.... 

33 comments:

  1. बहुत सुंदर सुषमा जी.........
    राह में उनसे मुलाक़ात हुई...और वही मंजिल हो गयी....
    बहुत प्यारे ख़याल.....

    अनु

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  2. वाह... पहली मुलाकात बहुत सुन्दर कोमल एहसास एक जज्बाती रचना बहुत प्यारी

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  3. खुबशुरत पहली मुलाक़ात का अहसास,,,सुंदर रचना,,,,,

    RECENT POST ,,,, काव्यान्जलि ,,,, अकेलापन ,,,,

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  4. दिल को सुकून मिला जब राह बनी मंजिल..

    बहुत सुन्दर रचना...

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  5. वाह कितना सुन्दर लिखा है आपने, कितनी सादगी, कितना प्यार भरा जवाब नहीं इस रचना का........ बहुत खूबसूरत....... !!

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  6. कुछ मोड़ यूँ ही मील के पत्थर की तरह याद रह जाते हैं!

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  7. इक शख्स मुझको यूँ ही,
    किसी मोड़ पर मिल गया था....
    सुना तो था की जिन्दगी का कोई मोड़,
    हमें किसी न किसी मंजिल पर पहुँचाता है....
    पर इस मोड़ पर वो खुद मिल गया है मुझे...मंजिल बन कर....

    एहसास होना किसी शै का और उस शै का मिल जाना यह भी एक बंदगी सा लगता है ............

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  8. इक शख्स मुझको यूँ ही,
    किसी मोड़ पर मिल गया था....
    सुना तो था की जिन्दगी का कोई मोड़,
    हमें किसी न किसी मंजिल पर पहुँचाता है....
    पर इस मोड़ पर वो खुद मिल गया है मुझे...मंजिल बन कर.... मंजिल का एक एक लम्हा साथ रहे

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  9. Love at first sight .... Shayad isi ko kahte hain ...
    Lajawab ehsaas liye ...

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  10. वाह ... बहुत बढि़या ..अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ...

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  11. खूबसूरत ख्याल सुषमा जी !


    सादर

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  12. कहाँ कुछ भी नही था उसने,
    सुना मैंने भी कुछ नही था,
    उसकी खामोशियाँ सब कह रही थी....और
    मैं नही मेरी धड़कने सब समझ रही थी.....bahut sudar...

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  13. यू ही कोई मिल गया था ..सरे राह चलते -चलते ....

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  14. प्रभावशाली रचना ...!

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  15. सच्चे प्यार में मंजिल चल कर ही आ जाती है अक्सर |

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  16. पहली मुलाकात के वो प्यार भरे अहसास
    दिल को छू लेनेवाले है जजबात
    बहूत हि सुंदर भाव अभिव्यक्ती.....
    :-)

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  17. bahut sundar likha hai
    aapke blog pe shringar aur prem ki rachanao ka bada sangraha hai...

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  18. इक शख्स मुझको यूँ ही,
    किसी मोड़ पर मिल गया था....
    सुना तो था की जिन्दगी का कोई मोड़,
    हमें किसी न किसी मंजिल पर पहुँचाता है....
    पर इस मोड़ पर वो खुद मिल गया है मुझे...मंजिल बन कर....

    रास्ते, मोड़ और मंजिलें - यही तो दुनिया है।
    अच्छी कविता।

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  19. उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

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  20. कहाँ कुछ भी नही था उसने,
    सुना मैंने भी कुछ नही था,
    उसकी खामोशियाँ सब कह रही थी....और
    मैं नही मेरी धड़कने सब समझ रही थी.....

    कोमल एहसास,वाह !!!!!!!!!!!

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  21. कितना अच्छा लगता है जब आपकी मंजिल खुद आपके पास चली आये ...
    सुंदर .... भावाभिव्यक्ति ..

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  22. सुना तो था की जिन्दगी का कोई मोड़,
    हमें किसी न किसी मंजिल पर पहुँचाता है....
    पर इस मोड़ पर वो खुद मिल गया है मुझे...मंजिल बन कर....

    ....लाज़वाब....बहुत सुन्दर भावमयी रचना...

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  23. कहाँ कुछ भी नही था उसने,
    सुना मैंने भी कुछ नही था,

    शायद इस न कहने और न सुनने के दरमियान सब कुछ कहा गया और सुना गया.
    सुंदर एहसास

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  24. sundar aur sathak abhivyakti

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  25. sahaj ..komal aur bahut pyare ehsaas ...
    sundar abhivyakti ...

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  26. मंजिल को पा लेना तकदीर की बात है. बहुत प्यारी कविता, कोमल एहसास, बधाई.

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  27. Dil ki gahrayi se likhi hui bahut hi sundar kavita....

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  28. बहुत ही सुन्दर रचना

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  29. इक शख्स मुझको यूँ ही,
    किसी मोड़ पर मिल गया था....
    सुना तो था की जिन्दगी का कोई मोड़,
    हमें किसी न किसी मंजिल पर पहुँचाता है....
    पर इस मोड़ पर वो खुद मिल गया है मुझे...मंजिल बन कर....
    वाह....बहुत उम्दा |

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  30. वो खुद मिल गया है मुझे...मंजिल बन कर....

    Badhiya...:-)

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