ये बारिश से भीगा मौसम...
और तुम्हारे प्यार से भीगा मेरा मन......
इस बार झूम कर आया है....ये सावन.......
कुछ मैंने की थी ख्वाइश,
कुछ बूंदों ने कि है साजिश......
मैं तुझमे खो जाऊ,
यही सावन कि रही है कोशिश......
खूब मन को भाया है....ये सावन....
इस बार झूम कर आया है सावन........
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
ReplyDeleteबधाई ||
फिर भीगिये...जी भर के...........
ReplyDelete:-)
अनु
रिमझिम गिरे सावन....सुलग सुलग जाये मन..सुंदर कविता...
ReplyDeleteकुछ मैंने की थी ख्वाइश,
ReplyDeleteकुछ बूंदों ने कि है साजिश......
मैं तुझमे खो जाऊ,
यही सावन कि रही है कोशिश......
आपकी ख्वाइश और बूंदों की साजिश दोनों ही अच्छी है ...
बेहतरीन भाव !
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteइस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (21-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
रिमझिम बारिश ऐसी आई, भीगा मोरा मन
ReplyDeleteऐसेमें तोरी याद सतावे ,झूमके आया सावन,,,,,,,
बहुत सुंदर रचना,,,,,,
RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....
बहुत सुन्दर झूम के आया आपके ब्लॉग..और तासीर देख कर तो पूरा शमा बांध गया है..सुन्दर पंक्तियाँ
ReplyDeleteबस यूं ही एहसास होता रहे और सावन झूम कर बरसता रहे
ReplyDeletesundar man ke udgaar ..!!
ReplyDeleteसुंदर चित्र...रिमझिम फुहार.. बेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteवैरी रोमांटिक...मज़ा आ गया कविता पढ़ के!!
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति :
ReplyDeleteमन तो उसके प्यार में भीग रहा है
सावन अपना बीच में झूम रहा है !!
बहुत खूबसूरत रचना..बहुत..
ReplyDeleteखूब मन को भाया है....ये सावन....
ReplyDeleteइस बार झूम कर आया है सावन....
इसीलिए तो सावन को मनभावन कहा गया है न ... अनुपम भाव
खूब मन को भाया है....ये सावन....vakayee.....
ReplyDeleteसावन की ये मस्त फुहार ....सुन्दर पोस्ट।
ReplyDeleteयह बारिश भी कितनी अपनी है ....जैसा चाहो वैसा करती है ...खुश हो तो भिगोती है तन मन और दुःख हो तो साथ रोती है
ReplyDeleteरिमजिम सावन ने तो हमें भीगा ही दिया सुषमा जी..बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteफिर भूली-बिसरी यादें
ReplyDeleteवापस लाया सावन ...
मुबारक हो !
बहुत खूबसूरत चित्र उससे भी सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteShort and Sweet :)
ReplyDeleteकुछ मैंने की थी ख्वाइश,
ReplyDeleteकुछ बूंदों ने कि है साजिश......
मैं तुझमे खो जाऊ,
यही सावन कि रही है कोशिश......
बारिस में तन ही नहीं मन भी भीग गया
waah apka sawan sada u hi jhoomta rahe....ta-umr.
ReplyDeleteकुछ मैंने की थी ख्वाइश,
ReplyDeleteकुछ बूंदों ने कि है साजिश......
मैं तुझमे खो जाऊ,
यही सावन कि रही है कोशिश......
बहुत सुन्दर सावन में भीगी
खुबसूरत रचना..:-)
Aaya sawan jhoom ke....jhoom kar aaya hai sawan
ReplyDeleteSundar panktiyaan
वाह ... सावन की बूँदें कितना असर रखती हैं ... मन के साथ मिल के साजिश करती हैं ...
ReplyDeleteखूब मन को भाया है....ये सावन....
ReplyDeleteइस बार झूम कर आया है सावन........
हर वर्ष ऐसे ही आता रहे सावन ..
वाह , मनभावन सावन |
ReplyDeleteसावन के मौसम में भींगी भींगी रचना आभार ......
ReplyDeletegood one
ReplyDeleteइस बार झूम कर आया है सावन........
ReplyDeleteवाह! सुंदर रचना.....
सावन तो चला गया पर सावन की फुहारें अभी भी इधर झूम रही हैं...
7 दिन बाद अभी क्षण भर को सूर्य देव झाँके और फिर भाग गए...
सादर।
वाह!
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