Tuesday 27 September 2011

जिन्दगी चलने लगी...... !!

जब ठहरी सी लगी जिन्दगी,
तो घबरा कर मैं चलने लगी
जब भी हार कर थम गए कदम,
तो देखा जमी चलने लगी...

नजरो से दूर मंजिल ठहरी सी लग रही थी,
मैं जैसे ही बढ़ी मंजिल की तरफ 
तो देखा मंजिल भी चलने लगी...

मैं भाग रही थी जितनी भी,
अपनी परछाई से 
जा तो रही थी महफ़िल में,
पर देखा मेरे साथ
मेरी तन्हाई भी चलने लगी...

मैं भूलना चाहती थी,
अतीत की यादो को
छोड़ कर जैसे ही
इन यादो को आगे बढ़ी,
पर मुड कर देखा मेरे साथ,
यादे बन कर परछाई चलने लगी...

जब चल रहे थे सभी मेरे साथ,
मैं ठहर जाना चाहती थी
कुछ पल ही गुज़रे
तो देखा मैं ठहरी ही रही 
जिन्दगी चलने लगी.....!


54 comments:

  1. बहुत खूब लिखा है आपने...छू जाने वाली कविता!

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  2. बहुत ही खूबसूरत अहसास भरे हैं .......लाजवाब|

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  3. अच्छी लगी कविता .शक्ति-स्वरूपा माँ आपमें स्वयं अवस्थित हों .शुभकामनाएं.

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  4. यूँ ही चलती रहे जिंदगी , मंजिल मिल ही जाएगी .

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  5. ज़िंदगी चलती रहनी चाहिए ..अच्छी प्रस्तुति

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  6. खूबसूरत अहसासो से भरी रचना...

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  7. nirntr chlte rhnaa hi zindgi hai ...akhtar khan akela kota rajsthan

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  8. सुभानाल्लाह..........बहुत ही खूबसूरत........

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  9. खुबसूरत रचना ..

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  10. मैं भूलना चाहती थी,
    अतीत की यादो को
    छोड़ कर जैसे ही
    इन यादो को आगे बढ़ी,
    पर मुड कर देखा मेरे साथ,
    यादे बन कर परछाई चलने लगी..

    यादों से पीछा छुड़ाना बहुत मुश्किल होता है।
    बहुत ही अच्छी कविता।

    नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    सादर

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  11. जा तो रही थी महफ़िल में,
    पर देखा मेरे साथ
    मेरी तन्हाई भी चलने लगी...
    kya baat hain :D bahut khoob

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  12. ये जिंदगी चलने का ही नाम है ... और चलते ही रहना चाहिए ... लाजवाब लिखा है ...

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  13. बहुत ... बहुत खुबसूरत भाव संजोयें है...

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  14. मैं भाग रही थी जितनी भी,
    अपनी परछाई से
    जा तो रही थी महफ़िल में,
    पर देखा मेरे साथ
    मेरी तन्हाई भी चलने लगी...ye saath nahi chhodti

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  15. निरंतर चलना ही शायद ज़िंदगी का असल है...रूकना तो मौत की निशानी है.....शब्दों में छुपे अर्थ को बेहतरीन तरीके से उकेरा है आपने...साधूवाद....

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  16. जब ठहरी सी लगी जिन्दगी,
    तो घबरा कर मैं चलने लगी
    जब भी हार कर थम गए कदम,
    तो देखा जमी चलने लगी...
    aisa hota kabhi kabhi jab thakne ke baad bhi aisa lagta hai ki chal rahe hai...aur yah ehsaas sukhad hota hai...

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  17. मैं भूलना चाहती थी,
    अतीत की यादो को
    छोड़ कर जैसे ही
    इन यादो को आगे बढ़ी,
    पर मुड कर देखा मेरे साथ,
    यादे बन कर परछाई चलने लगी...
    .very nice thinking shushma .....

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  18. बहुत खुबसूरत रचना.... आपको नवरात्रि की बधाई... मां आपको हमेशा खुश रखें.....

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  19. बहुत बढ़िया....आपकी यादो का ये सफ़र ......बेहतरीन

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  20. बहुत खूबसूरत रचना , सुन्दर भाव ,बधाई

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  21. हम चलें या न चलें जिन्दगी तो चलती ही रहेगी । बहुत सुन्दर कविता ।
    नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ...

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  22. खुबसूरत रचना ..
    यादो का सफर सुन्दर सफर

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  23. दुनिया रुपी इस भंवर में........कौन है किसका मीत.....
    हर कोई है गा रहा...........सिर्फ उसी का गीत......
    सिर्फ उसी का गीत............है फैला इक सन्नाटा....
    हर कोई खुद को ही बेहतर .....खुद ही बताता...
    कह मनोज कि आपने ..........पाया बड़ा नसीब...
    हर पल कोई खास तो........रहता पास करीब....

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  24. ज़िन्दगी रुकती नहीं.
    ज़िन्दगी थमती नहीं.

    बढ़िया नज़्म.

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  25. मैं भूलना चाहती थी,
    अतीत की यादो को
    छोड़ कर जैसे ही
    इन यादो को आगे बढ़ी,
    पर मुड कर देखा मेरे साथ,
    यादे बन कर परछाई चलने लगी...बिलकुल सही कहा सुषमा....यादें कभी पीछा नहीं छोडती .

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  26. जब चल रहे थे सभी मेरे साथ,
    मैं ठहर जाना चाहती थी
    कुछ पल ही गुज़रे
    तो देखा मैं ठहरी ही रही
    जिन्दगी चलने लगी.....!

    जिन्दगी का चलना बहुत सुंदर बन पड़ा है ....हर किसी की जिन्दगी में अलग-अलग परिस्थितियाँ होती हैं, लेकिन हार कर बैठना कहाँ सही है ...इसलिए जिन्दगी चलती रहे तो बेहतर है .....!

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  27. जिन्दगी से आगे तो बढ़ा नहीं जा सकता... साथ चल सकें तो अच्छा...
    वैसे महामानवों के बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता... शायद...

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  28. तो देखा मैं ठहरी ही रही
    जिन्दगी चलने लगी.....!

    beautiful

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  29. बहुत ही गहन भाव युक्त रचना जिंदगी चलते जाने का नाम ही है ...सादर !!!

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  30. मैं भूलना चाहती थी,
    अतीत की यादो को
    छोड़ कर जैसे ही
    इन यादो को आगे बढ़ी,
    पर मुड कर देखा मेरे साथ,
    यादे बन कर परछाई चलने लगी...
    bhut acha.

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  31. मुझे आपका ब्लॉग बहुत पसंद आया. लिखते रहिये और खुश रहिये!!

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  32. बहुत भावपूर्ण रचना |
    बधाई |
    आशा

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  33. बढ़िया ब्लॉग

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  34. प्रिय सुषमा जी बहुत खूब ...जब दम भर लीजिये रास्ता बन जाता है सुन्दर सन्देश ...जय माता दी आप सपरिवार को ढेर सारी शुभ कामनाएं नवरात्रि पर -माँ दुर्गा असीम सुख शांति प्रदान करें
    भ्रमर ५

    जा तो रही थी महफ़िल में,
    पर देखा मेरे साथ
    मेरी तन्हाई भी चलने लगी...

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  35. प्रिय सुषमा जी बहुत खूब ...जब दम भर लीजिये रास्ता बन जाता है सुन्दर सन्देश ...जय माता दी आप सपरिवार को ढेर सारी शुभ कामनाएं नवरात्रि पर -माँ दुर्गा असीम सुख शांति प्रदान करें
    भ्रमर ५

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  36. Fantastic read !!
    u have a lovely blog :)

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  37. जब ठहरी सी लगी जिन्दगी,
    तो घबरा कर मैं चलने लगी
    जब भी हार कर थम गए कदम,
    तो देखा जमी चलने लगी...


    बहुत ही अच्‍छी रचना ।

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  38. zindgi yun hin guzar jaati hai...
    जब चल रहे थे सभी मेरे साथ,
    मैं ठहर जाना चाहती थी
    कुछ पल ही गुज़रे
    तो देखा मैं ठहरी ही रही
    जिन्दगी चलने लगी.....!
    sundar abhivyakti, badhai.

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  39. जिंदगी ऐसी ही है. सुंदर भावनात्मक प्रस्तुति.

    नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं.

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  40. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

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  41. जब चल रहे थे सभी मेरे साथ,
    मैं ठहर जाना चाहती थी
    कुछ पल ही गुज़रे
    तो देखा मैं ठहरी ही रही
    जिन्दगी चलने लगी.....!
    वाह ...जिन्‍दगी का चलना और साथ होना अपनों का कभी तनहाई का ...बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  42. बहुत खूब ! एक उम्दा रचना के लिए बधाई !

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  43. जब चल रहे थे सभी मेरे साथ,
    मैं ठहर जाना चाहती थी
    कुछ पल ही गुज़रे
    तो देखा मैं ठहरी ही रही
    जिन्दगी चलने लगी.....!

    .....बहुत सुन्दर अहसास और उनकी लाज़वाब अभिव्यक्ति..

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  44. एक अच्छी प्रस्तुति के लिए आभार । मेरे पोस्ट पर भी आएं ।
    धन्यवाद ।

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  45. विजय दशमी की हार्दिक बधाई ...

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  46. bahut khoob....

    www.poeticprakash.com

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  47. जमी, मंजिल, तन्हाई, परछाई....
    inko aap jaise shabdo ke chalak bada hi khoob chala sakte hain...

    www.poeticprakash.com

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