Sunday 15 May 2011

ये वो दौर है....!!!

ये वो दौर है......                                       
जब मैं कई बार टूट कर बिखर गयी हूँ,
कभी किस्मत के हाथो,
कभी दिल के हाथो,
एक खिलौना बनाया गया है मुझे...!! 
खेलती रही जिन्दगी मेरे साथ,
इस दौर में....... 
इस खेल में हर बार हराया गया है मुझे....!!!

26 comments:

  1. आपकी कविता पढ़कर किसी का एक शेर याद आ गया.आप भी देखिएगा:-
    कोई समझा नहीं ये महफिले-दुनिया क्या है.
    खेलता कौन है और किसका खिलौना क्या है.

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  2. मन की निराशा को व्यक्त करती रचना ..

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  3. खेलती रही जिन्दगी मेरे साथ,
    इस दौर में.......
    इस खेल में हर बार हराया
    गया है मुझे....!!!

    माना कि हर बार हराया गया है लेकिन हार क्यों मानी?इस दौर में भी अब खुद को इस तरह ढाल लीजिए कि हर मुकाबले में जीत आपकी ही हो.

    सादर

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  4. सशक्त भाव ..
    कविता पर थोडा और ध्यान दिया जा सकता है..

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  5. सुषमा जी,

    आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ.....पहली ही पोस्ट जो पढ़ी तो शानदार लगी........कम लफ़्ज़ों में गहरे अहसास .....बहुत ही खूबसूरत.....आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ ताकि आगे भी साथ बना रहे.....

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  6. हर हार के बाद जीत सुनिश्चित है .... बहुत गहरे ज़ज्बात ....

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  7. मार्मिक भावों की यथार्थ अभिव्यक्ति....

    गहन अंधकार के बाद उजाला और हार के बाद जीत अवश्य आते हैं ...

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  8. mam apne jo likha hai ek kavita ke tor par acha hai...lakin jis trha andhere ke baad ujaala aata hai usi trha haar ke baad jeet hoti hai agar himmat na haren to....... jai hind jai bharat

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  9. कम शब्दों में सुंदर भाव-अभिव्यक्ति...खूबसूरत भाव संजोए एक बेहतरीन रचना..अच्छी लगी..धन्यवाद

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  10. bhut khubsurat....
    khail ka mja to haar jane me hi hota hai
    aur zindgi se to haar kar hi jeeta jata hai....
    kyu ki zindgi to apni hi hai...

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  11. जिंदगी कड़े इम्तिहान लेती है .... कभी हारती है कभी हराती है ...

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  12. खेलती रही जिन्दगी मेरे साथ,
    इस दौर में.......
    इस खेल में हर बार हराया गया है मुझे....!!!

    बहुत ही खूब लिखा है ,आपने.

    आप भी खेलिए न ज़िन्दगी के साथ

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  13. देखो हिम्मत न हारना और ऐसा करने वाले को ..................
    सुन्दर रचना |

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  14. jivan ka kadva sach ..

    bahut khoob..

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  15. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति

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  16. haar ke baad hi jeet hai.....

    jab tak haarne ka matlab nahi pata chale....tab tak jeetna nahi sikha jaa sakta....ye kavita bhi ek aashapurn kavita hai .....haar ke baad jeet...swadhaya ...apne antarman ki shakti ko pehchanana ...

    likhte rahiye ...good wishes

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  17. बहुत सुंदर
    इस खेल में हर बार हराया गया मुझे.. लाजवाब

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  18. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति|धन्यवाद|

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  19. vaah sushmaa bhn kyaa khub likh rahi ho jo vyvhaarik hai or jo sch jivant hai vahi sb aap likh rahi ho . akhtar khan akela kota rajsthan

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  20. बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
    हार्दिक शुभकामनायें !

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  21. ...खामोश रही तू नई पोस्ट

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  22. kabhi kabhi mere dil mai

    http://shayaridays.blogspot.com

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  23. ये वो दौर है...
    जब मैं कई बार टूट कर बिखर गयी हूँ,
    कभी किस्मत के हाथो,
    कभी दिल के हाथो,
    बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने !
    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - स्त्री अज्ञानी ?

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