आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ.....पहली ही पोस्ट जो पढ़ी तो शानदार लगी........कम लफ़्ज़ों में गहरे अहसास .....बहुत ही खूबसूरत.....आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ ताकि आगे भी साथ बना रहे.....
कभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए- (अरे हाँ भई, सन्डे को भी)
mam apne jo likha hai ek kavita ke tor par acha hai...lakin jis trha andhere ke baad ujaala aata hai usi trha haar ke baad jeet hoti hai agar himmat na haren to....... jai hind jai bharat
jab tak haarne ka matlab nahi pata chale....tab tak jeetna nahi sikha jaa sakta....ye kavita bhi ek aashapurn kavita hai .....haar ke baad jeet...swadhaya ...apne antarman ki shakti ko pehchanana ...
to ab kya socha hai ...
ReplyDeleteआपकी कविता पढ़कर किसी का एक शेर याद आ गया.आप भी देखिएगा:-
ReplyDeleteकोई समझा नहीं ये महफिले-दुनिया क्या है.
खेलता कौन है और किसका खिलौना क्या है.
मन की निराशा को व्यक्त करती रचना ..
ReplyDeleteखेलती रही जिन्दगी मेरे साथ,
ReplyDeleteइस दौर में.......
इस खेल में हर बार हराया
गया है मुझे....!!!
माना कि हर बार हराया गया है लेकिन हार क्यों मानी?इस दौर में भी अब खुद को इस तरह ढाल लीजिए कि हर मुकाबले में जीत आपकी ही हो.
सादर
सशक्त भाव ..
ReplyDeleteकविता पर थोडा और ध्यान दिया जा सकता है..
सुषमा जी,
ReplyDeleteआज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ.....पहली ही पोस्ट जो पढ़ी तो शानदार लगी........कम लफ़्ज़ों में गहरे अहसास .....बहुत ही खूबसूरत.....आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ ताकि आगे भी साथ बना रहे.....
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http://jazbaattheemotions.blogspot.com/
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एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|
हर हार के बाद जीत सुनिश्चित है .... बहुत गहरे ज़ज्बात ....
ReplyDeleteमार्मिक भावों की यथार्थ अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteगहन अंधकार के बाद उजाला और हार के बाद जीत अवश्य आते हैं ...
mam apne jo likha hai ek kavita ke tor par acha hai...lakin jis trha andhere ke baad ujaala aata hai usi trha haar ke baad jeet hoti hai agar himmat na haren to....... jai hind jai bharat
ReplyDeleteबहुत सारगर्भित क्षणिका!
ReplyDeleteकम शब्दों में सुंदर भाव-अभिव्यक्ति...खूबसूरत भाव संजोए एक बेहतरीन रचना..अच्छी लगी..धन्यवाद
ReplyDeletebhut khubsurat....
ReplyDeletekhail ka mja to haar jane me hi hota hai
aur zindgi se to haar kar hi jeeta jata hai....
kyu ki zindgi to apni hi hai...
जिंदगी कड़े इम्तिहान लेती है .... कभी हारती है कभी हराती है ...
ReplyDeleteखेलती रही जिन्दगी मेरे साथ,
ReplyDeleteइस दौर में.......
इस खेल में हर बार हराया गया है मुझे....!!!
बहुत ही खूब लिखा है ,आपने.
आप भी खेलिए न ज़िन्दगी के साथ
देखो हिम्मत न हारना और ऐसा करने वाले को ..................
ReplyDeleteसुन्दर रचना |
jivan ka kadva sach ..
ReplyDeletebahut khoob..
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति
ReplyDeletehaar ke baad hi jeet hai.....
ReplyDeletejab tak haarne ka matlab nahi pata chale....tab tak jeetna nahi sikha jaa sakta....ye kavita bhi ek aashapurn kavita hai .....haar ke baad jeet...swadhaya ...apne antarman ki shakti ko pehchanana ...
likhte rahiye ...good wishes
jindagi me aise lamhe aate rahte hain..!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteइस खेल में हर बार हराया गया मुझे.. लाजवाब
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति|धन्यवाद|
ReplyDeletevaah sushmaa bhn kyaa khub likh rahi ho jo vyvhaarik hai or jo sch jivant hai vahi sb aap likh rahi ho . akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteबहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें !
...खामोश रही तू नई पोस्ट
ReplyDeletekabhi kabhi mere dil mai
ReplyDeletehttp://shayaridays.blogspot.com