ये बारिशें तुम्हारे मेरे साथ की,
गवाह बन गयी है,
बूंदों ने संग-संग हमे जो छू लिया है..
कुछ और वो भी जवां हो गयी है..
गीली मिट्टी की खुसबू,
हमारी सांसो में यूं घुल गयी है,
दूर क्यों ना हो इक-दूजे से हम,
हमारे साथ को समेटे हुए,
हवाएं भी चलने लगी है...
पेड़ो से झरते ये फूल और पत्तियां,
तुम्हारी मुस्कराहटो पर न्योछावर हुए जाते है,
मैं नही हूँ जो कभी तुम्हारे साथ तो क्या,
तुम्हारी राहो में झरते गुलमोहर,
मेरा प्यार बन कर बिछे जाते है..
जब कभी भी काली घटाएं जो छा जाये,
बादल जो तुम्हे छूने को बेकरार होकर घिर आये,
तो समझ लेना,मैं आयी हूँ तुम्हारे पास,
संग अपने ले जाने को..!!!
Sunday, 8 April 2018
संग अपने ले जाने को..!!!
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निमंत्रण
ReplyDeleteविशेष : 'सोमवार' १६ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ प्रतिष्ठित साहित्यकार आदरणीया देवी नागरानी जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' १६ अप्रैल २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
निमंत्रण
विशेष : 'सोमवार' १६ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ प्रतिष्ठित साहित्यकार आदरणीया देवी नागरानी जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
बहुत खूब
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