Sunday 1 October 2017

तुम्हारे साथ जीना चाहती थी....!!!

मुझे हमेशा सरप्राइज पसंद थे,
और तुम हमेशा प्लानिंग में लगे रहते थे...
मैं तुम्हारे होठो पर इक मुस्कान के लिए,
कोई मौका नही गवाती थी,
गर वजह ना भी हो तो वजह बना लेती थी..
और तुम मुस्कराने में भी सोचते थे...
बहुत अलग थे हम दोनों...
बिल्कुल अलग...
मुझे प्यार की नादानियां पसंद थी,
तुम समझदारियो में उलझे रहे...
मैं बेवजह हँसना,
खिलखिलाना चाहती थी,
और तुम मुझे तहजीब और
अदब समझाते रहे...
मैं जिंदगी की मुश्किलें,
मुस्करा कर आसान करना चाहती थी,
तुम आसान जिंदगी को,
अपनी खामोशियो से,
मुश्किल बनाते चले गये...
मैं जिंदगी तुम्हारे रंग में,
ढालना चाहती थी और तुम,
मुझे बदलते चले गये...
अब क्या कहूँ तुमसे....बाबुमुशाय....
जिंदगी लम्बी नही....बड़ी होनी चाहिए....
मैं जिंदगी का हर पल सिर्फ गुजारना नही,
तुम्हारे साथ जीना चाहती थी....!!!

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