बारिश की खुबसूरत रात थी....
मेरे हाथो में तुम्हारे हाथ थे .....
बारिश में भीगते मेरे महंदी वाले हाथ थे...
बारिश में गहराता मेरी महंदी का रंग था...
ये बादलों के गर्जना था....
कि तुम्हारे दिल की धड़कन थी....
तुम्हे भी कुछ कहना था....
कहनी मुझे भी तुमसे कोई बात थी....
गुजर गयी बरसात की वो रात..
कभी पूरी हुई ही नही हमारी वो बात....
कुछ बाते अधूरी ही अच्छी लगती है.......!!!
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteसमसामयिक रचना में भावप्रणवता देखते ही बनती है।
सुंदर रचना
ReplyDeleteप्रेम भरी बातें अधूरी रह जाएँ तब ही तो मज़ा है ...
ReplyDeleteबहुत खूब...
ReplyDeleteकुछ बातें अधूरी ही ..... सच
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति .....सच है कुछ बाते अधूरी ही अच्छी लगती है.
ReplyDelete