हाँ मैं जिन्दगी हूँ...
तुम्हे जीना सीखा दूंगी.....
घुल गयी जो..
तुम्हारी सांसो में तो....यक़ीनन..
तुम्हारी सांसो को महका दूंगी.....
हाँ मैं जिन्दगी हूँ.....
तुम्हे जीना सीखा दूंगी.....!

थाम लुंगी तुम्हारे हाथो इक बार.....
तुम्हे दुनिया को जीतना सीखा दूंगी......
इक बार चली जो..
तुम्हारे साथ.......यक़ीनन..
तुम्हारी राहो को आसान बना दूंगी.....
हाँ मैं जिन्दगी हूँ....
तुम्हे जीना सीखा दूंगी.....!
तुम्हे डर है....आसमान की उच्चाईयों से,
तुम्हे डर है....समंदर की गहराइयों से,
इक बार मुझे.....
तुम खुद में..
शामिल तो करो....यक़ीनन...
डर सारे दिल के मिटा दूंगी.......
हां मैं जिन्दगी हूँ......
तुम्हे जीना सीखा दूंगी.....!
कभी जो तनहाइयाँ तुम्हे घेरेंगी......
मैं गले से तुम्हे लगा लुंगी.....
होटों पर मुझको..
सजा लेना.....यक़ीनन..
उदासियो में चुपके से मुस्करा दूंगी.....
हाँ मैं जिन्दगी हूँ....
तुम्हे जीना सीखा दूंगी....!
कभी जो उलझनों में उलझे तो..
मुश्किलो से लड़ना सीखा दूंगी....
दोस्त बना लो..
तुम जो मुझे....यक़ीनन..
मैं दुश्मनो को भी दोस्त बना दूंगी....
हाँ मैं जिन्दगी हूँ.....
तुम्हे जीना सीखा दूंगी....!
तुम्हे जीना सीखा दूंगी.....
घुल गयी जो..
तुम्हारी सांसो में तो....यक़ीनन..
तुम्हारी सांसो को महका दूंगी.....
हाँ मैं जिन्दगी हूँ.....
तुम्हे जीना सीखा दूंगी.....!

थाम लुंगी तुम्हारे हाथो इक बार.....
तुम्हे दुनिया को जीतना सीखा दूंगी......
इक बार चली जो..
तुम्हारे साथ.......यक़ीनन..
तुम्हारी राहो को आसान बना दूंगी.....
हाँ मैं जिन्दगी हूँ....
तुम्हे जीना सीखा दूंगी.....!
तुम्हे डर है....आसमान की उच्चाईयों से,
तुम्हे डर है....समंदर की गहराइयों से,
इक बार मुझे.....
तुम खुद में..
शामिल तो करो....यक़ीनन...
डर सारे दिल के मिटा दूंगी.......
हां मैं जिन्दगी हूँ......
तुम्हे जीना सीखा दूंगी.....!
कभी जो तनहाइयाँ तुम्हे घेरेंगी......
मैं गले से तुम्हे लगा लुंगी.....
होटों पर मुझको..
सजा लेना.....यक़ीनन..
उदासियो में चुपके से मुस्करा दूंगी.....
हाँ मैं जिन्दगी हूँ....
तुम्हे जीना सीखा दूंगी....!
कभी जो उलझनों में उलझे तो..
मुश्किलो से लड़ना सीखा दूंगी....
दोस्त बना लो..
तुम जो मुझे....यक़ीनन..
मैं दुश्मनो को भी दोस्त बना दूंगी....
हाँ मैं जिन्दगी हूँ.....
तुम्हे जीना सीखा दूंगी....!
जीने की लालसा और दिलासा देती शानदार
ReplyDeleteसदा बहार
बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति |जिंदगी सब कुछ सीखा देती है ......
ReplyDeleteनई पोस्ट माँ है धरती !
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज शनिवासरीय चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteरोशनमय की छोड़िये
ReplyDeleteअंधेरों में भी साथ ना छोड़े
जिंदगी ही वो साया है
ठीक 'आप' की तरह
'उस' के लिए.
:)
आशा भरी कविता..
ReplyDeleteजिंदगी को जिंदगी का साथ मुबारक हो .....
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteहम मौत को जीने के अंदाज़ सीखा देंगे...
ReplyDeleteइस पोस्ट की चर्चा, रविवार, दिनांक :- 3/08/2014 को "ये कैसी हवा है" :चर्चा मंच :चर्चा अंक:1694 पर.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteवाह, बहुत बढ़िया
ReplyDeleteसुन्दर रचना...
ReplyDeleteवाह जिदगी।
ReplyDeleteसोचा की बेहतरीन पंक्तियाँ चुन के तारीफ करून ... मगर पूरी नज़्म ही शानदार है ...आपने लफ्ज़ दिए है अपने एहसास को ... दिल छु लेने वाली रचना ...
ReplyDeleteबहुत सुब्दर प्रेरक कविता1 बधाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना व लेखन , आ. धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
प्रेम की ताकत को महसूस करवाती है ये रचना ... होंसला दिलाती है दिल को ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, सार्थक और प्रेरक रचना...
ReplyDeleteवाह सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteबहुत ख़ूब!
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeleteजि़ंदगी स्वयं जीना सिखाती है।
ReplyDeleteप्रेरक कविता।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 28 अप्रैल 2016 को में शामिल किया गया है।
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !